Unlock the Power of Shiv Ji Ki Aarti and 3 benefits: ओम जय शिव ओंकारा

Unlock divine blessings with Shiv Ji Ki Aarti ‘Om Jai Shiv Omkara’—discover 3 powerful benefits: spiritual liberation, fulfilled desires, and cosmic balance. Learn the correct way to perform it!

शिव जी की पूजा के दौरान आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आप भी शिवरात्रि पर जरुर करें शिव आरती।

देवों के देव माहादेव की आरती करने से आपके बिगड़े काम बन जाते हैं. सोमवार के दिन शिव आराधना करना फलदायी होता है. क्योकि सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है. शिव जी की कृपा पाने के लिए भक्त सोमवार के दिन भी व्रत रखते हैं और शिव भक्ति में लीन रहते हैं. इस दिन पूजा के दौरान भगवान शिव शंकर की आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आप भी हर सोमवार जरुर करें शिव आरती..
भगवान शिव की आरती एक पवित्र और शक्तिशाली पूजा है, जो भक्तों के सभी कष्टों को दूर करने में मदद करती है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, और इस दिन उनकी आराधना करना फलदायी होता है।

सोमवार के दिन शिव आराधना का महत्व
1. भगवान शिव को समर्पित: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है।
2. फलदायी: सोमवार के दिन शिव आराधना करना फलदायी होता है।
3. व्रत और पूजा: सोमवार के दिन व्रत रखना और पूजा करना भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है।

Shiv Ji Ki Aarti:

Unlock the Power of Shiv Ji Ki Aarti and 3 benefits: ओम जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे. हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे..
ओम जय शिव ओंकारा..

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे.
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे..
ओम जय शिव ओंकारा..

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी.
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी..
ओम जय शिव ओंकारा..

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे..
ओम जय शिव ओंकारा..

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे..
ओम जय शिव ओंकारा..

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा.
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा..
ओम जय शिव ओंकारा..

पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा.
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा..
ओम जय शिव ओंकारा..

जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला.
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला..
ओम जय शिव ओंकारा..

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी.
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी..
ओम जय शिव ओंकारा..

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे.
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे..
ओम जय शिव ओंकारा.. ओम जय शिव ओंकारा.

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Kadhi Patta: 2 Essential Benefits for Health and Hair

Highlights: Kadhi Patta Hair Oil Kadhi Patta Tea

Kadhi Patta

करी पत्ता जिसे हम करी लीव्स के नाम से भी जानते हैं, एक अनोखा और स्वादिष्ट घटक है जिसका उपयोग भारतीय व्यंजनों में व्यापक रूप से किया जाता है।जिन्हें मीठा नीम भी कहा जाता है, भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में कई व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं।

Description:

यह एक छोटा पेड़ है ।

पेड़ की विशेषताएं
1. ऊंचाई: यह पेड़ 4-6 मीटर तक ऊंचा होता है।
2. तने का व्यास: इसका तना 40 सेमी तक व्यास में होता है।
3. पत्तियों की विशेषता: इसके पत्ते पिननेट होते हैं और 11-21 पत्तियों वाले होते हैं।

फूल और फल
1. फूलों की विशेषता: पौधा छोटे सफेद फूल पैदा करता है।
2. फल की विशेषता: फल छोटे चमकदार-काले ड्रूप्स होते हैं जिनमें एक बड़ा व्यवहार्य बीज होता है।
3. बेरी का गूदा: बेरी का गूदा खाने योग्य होता है और इसमें एक मीठा स्वाद होता है।

वितरण और आवास

  1. यह पेड़ भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है। व्यावसायिक बागान भारत में स्थापित किए गए हैं, और ऑस्ट्रेलिया और स्पेन के दक्षिण (कोस्टा डेल सोल) में भी। यह अच्छी तरह से सूखने वाली मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है जो सूख नहीं जाती है, पूर्ण सूर्य या आंशिक छाया वाले क्षेत्रों में, अधिमानतः हवा से दूर। विकास अधिक मजबूत होता है जब तापमान कम से कम 18 डिग्री सेल्सियस (64 डिग्री फारेनहाइट) होता है।
व्युत्पत्ति और सामान्य नाम
  1. “करी” शब्द तमिल शब्द “कारी” (कृ, शाब्दिक रूप से “काला”), पौधे का नाम है जो पेड़ की पत्तियों की कथित कालिमा से जुड़ा है। पत्तियों का उपयोग करने के रिकॉर्ड तमिल साहित्य में पाए जाते हैं जो पहली और चौथी शताब्दी ईस्वी पूर्व के हैं। ब्रिटेन में प्राचीन तमिल क्षेत्र के साथ मसाला व्यापार था। यह 16वीं शताब्दी के अंत में इंग्लैंड में पेश किया गया था।

    पाकशास्त्र में करी पत्तों में एक “मृदु, सुगंधित, थोड़ा कड़वा” स्वाद होता है।

    करी पत्ता में कई विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। कुछ प्रमुख विटामिन और मिनरल्स जो करी पत्ता में पाए जाते हैं, इस प्रकार हैं:

  •  विटामिन
    1.विटामिन : करी पत्ता में विटामिन ए होता है, जो आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
    2.विटामिन सी: करी पत्ता में विटामिन सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
    3. विटामिन ई: करी पत्ता में विटामिन ई होता है, जो स्किन और बालों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
  •  मिनरल्स
    1. आयरन: करी पत्ता में आयरन होता है, जो रक्त की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
    2. कैल्शियम: करी पत्ता में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
    3. पोटैशियम: करी पत्ता में पोटैशियम होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • अन्य पोषक तत्व
    1. फाइबर: करी पत्ता में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
    2. एंटीऑक्सीडेंट्स: करी पत्ता में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।
इन सभी विटामिन और मिनरल्स के कारण, करी पत्ता एक स्वस्थ और फायदेमंद विकल्प है।

Kadhi Patta: 2 Essential Benefits for Health and Hair

करी पत्ता एक ऐसा पौधा है जो न केवल खाने को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि यह कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  •  बालों के लिए लाभकारी
    1. बालों के झड़ने को कम करता है: करी पत्ते का तेल या पाउडर बालों के झड़ने की समस्या को कम करता है।
    2. सफेद बालों को कम करता है: करी पत्ते का उपयोग सफेद बालों की समस्या को कम करने में मदद करता है।
    3. डैंड्रफ को कम करता है: करी पत्ते का उपयोग डैंड्रफ की समस्या को कम करने में मदद करता है।
    4. बालों में प्राकृतिक चमक लाता है: करी पत्ते का उपयोग बालों में प्राकृतिक चमक लाने में मदद करता है।
  •  स्वास्थ्य लाभ
    1. कोलेस्ट्रॉल कम करता है: करी पत्ते में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में सहायक होते हैं।
    2. संक्रमण से रक्षा करता है: करी पत्ते में जीवाणुरोधी और फंगलरोधी गुण होते हैं जो संक्रमणों से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं।
  •  सेवन के तरीके
    1. सुबह खाली पेट चबाना: सुबह खाली पेट 5-6 ताजे करी पत्ते चबाना लाभकारी माना जाता है।
    2. करी पत्ते का चूर्ण: करी पत्ते का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।
    3. पेस्ट बनाकर लगाना: करी पत्ते का पेस्ट बनाकर बालों और चेहरे पर लगाया जा सकता है।
    4. चाय या काढ़े में मिलाकर पीना: करी पत्ते को चाय या काढ़े में मिलाकर भी पीया जा सकता है।
  •  खेती और देखभाल
    1. गर्म और नम जलवायु: करी पत्ते का पौधा गर्म और नम जलवायु में अच्छे से बढ़ता है।
    2. अधिक देखभाल की ज़रूरत नहीं: करी पत्ते के पौधे को अधिक देखभाल की ज़रूरत नहीं होती।
    3. धूप में रखना और पानी देना: करी पत्ते के पौधे को धूप में रखना और नियमित रूप से पानी देना पर्याप्त होता है।
    4. बीज या कटिंग से उगाना: करी पत्ते का पौधा बीज या कटिंग से उगाया जा सकता है।
  •  सावधानियाँ
    1. डॉक्टर की सलाह लेना: करी पत्ता प्राकृतिक और आयुर्वेदिक औषधि है, लेकिन किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए इसे डॉक्टर की सलाह के बिना औषधीय रूप में अधिक मात्रा में लेना उचित नहीं है।
  •  निष्कर्ष
    करी पत्ता एक ऐसा पौधा है जो न केवल खाने को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि यह कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। इसका नियमित उपयोग न सिर्फ आपके खाने को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि आपके शरीर को भी भीतर से स्वस्थ बनाता है।

Kadhi Patta: 2 Essential Benefits for Health and Hair

Kadhi Patta (कढ़ी पत्ते) की चाय और बालों के लिए कढ़ी पत्ते का हेयर ऑयल दोनों की आसान रेसिपी

1. कढ़ी पत्ते की चाय (Kadhi Patta Tea)

सामग्री:
ताजे कढ़ी पत्ते – 10-15 पत्तियाँ
पानी – 2 कप
अदरक – 1 छोटा टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
नींबू रस – 1 चम्मच (वैकल्पिक)
शहद – स्वाद अनुसार (वैकल्पिक)
विधि:
एक पैन में पानी उबालने के लिए रखें।
उसमें अदरक और कढ़ी पत्ते डालें।
इसे धीमी आंच पर 5–7 मिनट तक उबालें, ताकि पत्तों का अर्क अच्छे से पानी में आ जाए।
गैस बंद करें और छान लें।
चाहें तो इसमें नींबू रस और शहद मिलाकर गरम-गरम पिएं।
फायदे:
सुबह खाली पेट लेने से डाइजेशन सुधरता है।
वजन घटाने में सहायक।
डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभदायक।

2. कढ़ी पत्ते का हेयर ऑयल (Kadhi Patta Hair Oil)

सामग्री:
कढ़ी पत्ते – 1 कप (धोकर सुखाए हुए)
नारियल तेल – 1 कप
मेथी दाना – 1 चम्मच
आंवला पाउडर – 1 चम्मच (वैकल्पिक)

विधि:
एक पैन में नारियल तेल गरम करें।
उसमें मेथी दाना और कढ़ी पत्ते डालें। धीमी आंच पर पकाएं जब तक पत्ते कुरकुरे हो जाएं और हल्का रंग बदल लें।
आंवला पाउडर डालें और एक मिनट और पकाएं।
गैस बंद करें और तेल को ठंडा होने दें।
ठंडा होने के बाद इसे छानकर किसी कांच की बोतल में भर लें।

उपयोग:
हफ्ते में 2 बार स्कैल्प में हल्के हाथों से मालिश करें।
रातभर रखें या 1-2 घंटे बाद धो लें।

फायदे:
बालों का झड़ना कम होता है।
समय से पहले सफेद बालों की समस्या घटती है।
बाल मजबूत और चमकदार बनते हैं।

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Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

Shiv Chalisa

शिव यानी कल्याणकारी। “शि” का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला, जबकि “व” का अर्थ है, देने वाला । शिव-स्वरूप बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है,महिमा अपरंपार है ।

Shiv Chalisa शिव चालीसा के माध्यम से अपने सारे दुखों को भूला कर शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिव-शक्ति का संयोग ही परमात्मा है। शिव की जो पराशक्ति है उससे चित्‌ शक्ति प्रकट होती है। चित्‌ शक्ति से आनंद शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, आनंद शक्ति से इच्छाशक्ति का उद्भव हुआ है। ऐसे आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का हर दिन शिव चालीसा पढ़ने का अलग ही महत्व है ।

शिव चालीसा एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा और उनके गुणों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी तरीका है।

Shiv Chalisa शिव चालीसा का महत्व

1. भगवान शिव की कृपा: शिव चालीसा पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. दुखों का नाश: शिव चालीसा पढ़ने से सारे दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
3. आध्यात्मिक विकास: शिव चालीसा पढ़ने से आध्यात्मिक विकास होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।

शिव चालीसा के लाभ

1. शिव की कृपा: शिव चालीसा पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. सुख और शांति: शिव चालीसा पढ़ने से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
3. आत्म-विकास: शिव चालीसा पढ़ने से आत्म-विकास होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।
4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: शिव चालीसा पढ़ने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

Shiv Chalisa (शिव चालीसा) कैसे पढ़ें

1. नियमित रूप से पढ़ें: शिव चालीसा को नियमित रूप से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. शुद्ध भाव से पढ़ें: शिव चालीसा को शुद्ध भाव से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. ध्यान से पढ़ें: शिव चालीसा को ध्यान से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी तरीका है।

Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ
Shiv Chalisa 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥

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Ganesh Ji Ki Aarti: जय गणेश जय गणेश 2 Most Powerful Ganesh Mantra for Peace & Prosperity

Ganesh Ji ki Aarti: भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव माने जाते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आरती, जय गणेश जय गणेश देवा का गायन करने से बुद्धि का विकास होता है और भगवान गणेश का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। गणेशजी की आरती गायन से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में मंगल ही मंगल रहता है। गणेशजी की कृपा बनी रहती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

घर पर गणेश आरती कैसे करें?

  • आरती आरंभ करने से पूर्व तीन बार शंख का उद्घोष करें. शंख बजाते समय मुख को ऊपर की ओर रखें. शंख को धीरे से प्रारंभ करते हुए, धीरे-धीरे उसकी आवाज को बढ़ाएं.
  • आरती के दौरान ताली बजाना न भूलें. घंटी को एक समान लय में बजाएं और आरती को भी सुर और लय के अनुसार गाएं. इसके साथ ही झांझ, मझीरा, तबला, हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग करें.
  • आरती गाते समय उच्चारण को शुद्ध रखें.
  • आरती के लिए शुद्ध कपास से निर्मित घी की बत्ती का उपयोग करें. तेल की बत्ती से बचना चाहिए. कपूर का भी आरती में प्रयोग किया जाता है. बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्कीस हो सकती है.
  • आरती को घड़ी की सुइयों की दिशा में लयबद्ध तरीके से करना चाहिए।

शाम को आरती कितने बजे करनी चाहिए?

  • शाम की आरती सामान्यतः शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच आयोजित की जाती है. हालांकि, यह समय के अनुसार परिवर्तित हो सकता है।

 

Ganesh Ji Ki Aarti: जय गणेश जय गणेश और जय देव जय देव | 2 Most Powerful Ganesh Mantra for Peace & Prosperity
Ganesh Ji Ki Aarti: जय गणेश जय गणेश और जय देव जय देव | 2 Most Powerful Ganesh Mantra for Peace & Prosperity

Ganesh Ji ki Aarti 

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। .

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा …
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा …
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

 

Ganesh Ji ki Aarti: जय देव जय देव

 

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची

नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची

कंठी झलके माल मुक्ता फलांची।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा

रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना

सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुर वर वंदना।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव ।।

आरती के बाद इस मंत्र का जप करने से आरती संपूर्ण मानी जाती है : –

वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥1॥
गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

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10 Famous Bhagavad Gita Quotes in Hindi, English & Sanskrit

10 Famous Bhagavad Gita Quotes in Hindi

Highlights: English & Sanskrit

1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन

हिंदी: कर्म करना ही तुम्हारा अधिकार है, फल की इच्छा मत करो।

अंग्रेजी: “You have a right to perform your prescribed duty, but you are not entitled to the fruits of action.”

संस्कृत: कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

2. आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुनः

हिंदी: जो व्यक्ति आत्म-ज्ञान के द्वारा सभी में समानता देखता है, वही सच्चा ज्ञानी है।

अंग्रेजी: “One who sees inaction in action, and action in inaction, is intelligent among men.”

संस्कृत: आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुनः।

3. यद्यदाचरथि श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः

हिंदी: जो कुछ तुम करोगे, वही दूसरे लोग भी करेंगे।

अंग्रेजी: “Whatever action is performed by a great man, common men follow in his footsteps.”

संस्कृत: यद्यदाचरथि श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।

 

4. यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबंधनः

हिंदी: कर्म के अलावा जो कुछ भी किया जाता है, वह सब बंधन है।

अंग्रेजी: “Except for the sake of sacrifice, this world is bound by action.”

संस्कृत: यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबंधनः।

10 Famous Bhagavad Gita Quotes in Hindi, English & Sanskrit
Bhagavad Gita Quotes in Hindi

 

5. आत्मसंयमयोगाग्नौ जुह्वति ज्ञानदीपिते

हिंदी: आत्म-संयम के द्वारा ज्ञान की अग्नि में तुम अपने आप को जला सकते हो।

अंग्रेजी: “The fire of knowledge burns away all actions in the yoga of self-control.”

संस्कृत: आत्मसंयमयोगाग्नौ जुह्वति ज्ञानदीपिते।

6. नैनं छिंदन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः

हिंदी: न ही शस्त्र इसे काट सकते हैं, न ही आग इसे जला सकती है।

अंग्रेजी: “The soul can never be cut into pieces by any weapon, nor burned by fire.”

संस्कृत: नैनं छिंदन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।

7. वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नावोऽपि

हिंदी: जैसे पुराने कपड़े उतार दिए जाते हैं, वैसे ही आत्मा पुराने शरीर को छोड़ देती है।

अंग्रेजी: “As a person puts on new garments, giving up old ones, similarly, the soul accepts new material bodies, giving up the old and useless ones.”

संस्कृत: वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नावोऽपि।

10 Famous Bhagavad Gita Quotes in Hindi, English & Sanskrit
10 Famous Bhagavad Gita Quotes in Hindi, English & Sanskrit

8. योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय

हिंदी: योग की स्थिति में रहकर कर्म करो, और संग से मुक्त होकर धन की इच्छा छोड़ दो।

अंग्रेजी: “Perform your duty equipoised, O Arjun, abandoning all attachment to success or failure.”

संस्कृत: योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय।

जीवन के उद्देश्य के बारे में

9. “सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज”

सारे धर्मों को छोड़कर मुझे एकमात्र शरण में आओ।

अंग्रेज़ी : “Abandon all forms of dharma and take refuge in Me alone.”

आत्म-ज्ञान के बारे में

10. “अहिंसा परमो धर्मः”

अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।

अंग्रेज़ी : “Non-violence is the highest dharma.”

इन उद्धरणों से हमें जीवन के बारे में कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं

भगवद गीता एक प्राचीन और पवित्र हिंदू ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के उद्देश्य और महत्व के बारे में बताया है। भगवद गीता के उद्धरण हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमें:

  • जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करते हैं
    भगवद गीता के उद्धरण हमें जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करते हैं और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • आत्म-ज्ञान को बढ़ावा देते हैं
    भगवद गीता के उद्धरण आत्म-ज्ञान को बढ़ावा देते हैं और हमें अपने बारे में अधिक जानने में मदद करते हैं।
  • नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं
    भगवद गीता के उद्धरण नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देते हैं और हमें सही और गलत के बीच का अंतर समझने में मदद करते हैं।
  • जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करते हैं
    भगवद गीता के उद्धरण जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करते हैं और हमें कठिन समय में भी आशा और प्रेरणा देते हैं।
  • आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देते हैं
    भगवद गीता के उद्धरण आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देते हैं और हमें अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण बनाने में मदद करते हैं।

इन उद्धरणों को अपने जीवन में अपनाकर, हम अपने जीवन को अधिक सकारात्मक, उद्देश्यपूर्ण और अर्थपूर्ण बना सकते हैं।

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Maa Durga Aarti Powerful Lyrics in Hindi 2025: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

Maa Durga Aarti: Lyrics: 30 मार्च से चैत्र नवरात्र का आरंभ होने वाला है. नवरात्र 30 मार्च से 6 अप्रैल तक मनाए जाएंगे. इस वर्ष माता रानी के नवरात्र रविवार से प्रारंभ हो रहे हैं, इसलिए माता हाथी पर सवार होकर आएंगी. शास्त्रों में देवी की हाथी की पालकी को अत्यंत शुभ माना गया है.आपको बता दें नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है . नवरात्रि में प्रतिदिन पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती अनिवार्य मानी जाती है. यही नहीं, आम दिनों में भी पूजा के दौरान इस आरती की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में मां दुर्गा की आरती 🙏🏻🙏🏻

Maa Durga Aarti का महत्व

Maa Durga Aarti नवरात्रि के उत्सव का एक अभिन्न अंग है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। यहाँ कुछ कारण हैं जिनकी वजह से माँ दुर्गा आरती आवश्यक है:

  • आध्यात्मिक महत्व
    1. दिव्य ऊर्जा का आह्वान: आरती माँ दुर्गा की दिव्य ऊर्जा को आह्वान करने का एक तरीका है, उनके आशीर्वाद और सुरक्षा की मांग करते हैं।
    2. पवित्रीकरण और शुद्धिकरण: आरती अनुष्ठान को मन, शरीर और आत्मा को पवित्र और शुद्ध करने वाला माना जाता है।
  • सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व
    1. विरासत को आगे बढ़ाना: माँ दुर्गा आरती एक परंपरा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है, जो भक्तों को उनकी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ती है।
    2. समुदाय का बंधन: आरती अक्सर सामूहिक रूप से की जाती है, जो भक्तों के बीच एकता और समुदाय की भावना को बढ़ावा देती है।
  • व्यक्तिगत लाभ
    1. मानसिक शांति और शांति: माँ दुर्गा आरती में भाग लेने से मानसिक शांति, शांति और एकता की भावना मिलती है।
    2. मार्गदर्शन और सुरक्षा की मांग: भक्त माँ दुर्गा से आरती अनुष्ठान के माध्यम से मार्गदर्शन और सुरक्षा की मांग करते हैं, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में उनकी मदद करते हैं।
  • अनुष्ठानिक महत्व
    1. पूजा की समाप्ति: आरती नवरात्रि पूजा का एक आवश्यक हिस्सा है, जो पूजा अनुष्ठान की समाप्ति को चिह्नित करती है।
    2. कृतज्ञता व्यक्त करना: माँ दुर्गा आरती भक्तों के लिए देवी के आशीर्वाद और सुरक्षा के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है।

Maa Durga Aarti Hindi Lyrics Here– 

Maa Durga Aarti Powerful Lyrics in Hindi 2025: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी


 Durga Aarti/ Ambe Tu Hai Jagdambe Kali:

अंबे जी की आरती

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Maa Durga Aarti Powerful Lyrics in Hindi 2025: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

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Chaitra Navratri 2025 (चैत्र नवरात्रि): Date, Time, History, Significance, Importance

हर साल हिंदू दो प्रमुख नवरात्रि मनाते हैं – चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि। शरद नवरात्रि को मुख्य नवरात्रि दिन माना जाता है जो सितंबर-अक्टूबर के महीने में पड़ते हैं, और उससे पहले, वसंत ऋतु में हमारे पास चैत्र नवरात्रि है। चैत्र नवरात्रि का नाम चैत्र महीने से मिला है, जो हिंदी में मार्च-अप्रैल के लिए नाम है।

Chaitra Navratri 2025 (चैत्र नवरात्रि): Date, Time, History, Significance, Importance

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि 2025 की तारीखें निम्नलिखित हैं:

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत: 30 मार्च 2025, रविवार
चैत्र नवरात्रि का समापन: 7 अप्रैल 2025, सोमवार
राम नवमी: 6 अप्रैल 2025, रविवार.

चैत्र नवरात्रि के दौरान, नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025 के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना का समय, ड्रिक पंचांग के अनुसार, निम्नलिखित है:

“चैत्र घटस्थापना रविवार, 30 मार्च 2025
घटस्थापना मुहूर्त – 06:13 पूर्वाह्न से 10:22 पूर्वाह्न
अवधि – 04 घंटे 08 मिनट”

चैत्र नवरात्रि 2025 के पहले दिन कलश स्थापना का समय, ड्रिक पंचांग के अनुसार, निम्नलिखित है:

“चैत्र कलश स्थापना रविवार, 30 मार्च 2025
कलश स्थापना मुहूर्त – 06:13 पूर्वाह्न से 10:22 पूर्वाह्न
अवधि – 04 घंटे 08 मिनट”

Chaitra Navratri का इतिहास

नवरात्रि माँ दुर्गा, उनके नौ रूपों और उनके उग्र स्वभाव को समर्पित एक हिंदू त्योहार है, जो सुरक्षात्मक और देखभाल करने वाला भी है। कथाओं, ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, देवी दुर्गा को भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा द्वारा राक्षस महिषासुर को हराने के लिए बनाया गया था, जिसने अजेय शक्तियाँ प्राप्त की थीं और पृथ्वी पर तबाही मचा रहा था। माना जाता है कि यह युद्ध नौ दिनों तक चला, जिसमें माँ दुर्गा ने अपने नौ रूपों का प्रदर्शन किया, और दसवें दिन वह विजयी हुईं, जो अच्छाई पर बुराई की जीत का प्रतीक बन गई।

Chaitra Navratri भी उसी अवधि में पड़ती है जब हिंदू नववर्ष शुरू होने वाला होता है, और वसंत ऋतु प्रकृति में जीवन को सांस लेना शुरू कर देती है। कई क्षेत्रों में, यह भी माना जाता है कि भगवान राम ने रावण को हराने से पहले इस अवधि के दौरान माँ दुर्गा की पूजा की थी ताकि उन्हें उनका आशीर्वाद मिल सके।

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि का महत्व

Chaitra Navratri 2025 (चैत्र नवरात्रि): Date, Time, History, Significance, Importance

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि हिंदू मान्यताओं और अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और जैसे शरद नवरात्रि में, भक्त इस समय के दौरान भी माँ दुर्गा और उनके कई अवतारों के लिए 9 दिनों का उपवास रखते हैं। इस त्योहार का महत्व और महत्व माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों के युद्ध में निहित है, और यह लोगों को याद दिलाता है कि हालांकि कुछ लड़ाइयाँ मुश्किल हो सकती हैं, लेकिन सच्चाई हमेशा जीतती है।

चूंकि चैत्र नवरात्रि वसंत और हिंदू नववर्ष के एक ही समय में पड़ती है, लोग इस समय का उपयोग अपने लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं को निर्धारित करने के लिए करते हैं, और उपवास के साथ, वे एक बेहतर और स्पष्ट मन, शुद्ध विचारों और अधिक के लिए प्रार्थना करते हैं।

Chaitra Navratri अनुष्ठान

किसी भी अन्य त्योहार और अनुष्ठान की तरह, चैत्र नवरात्रि भी अपने अनुष्ठानों और प्रथाओं के साथ आती है जो पूरे देश में सामान्य हैं। किसी भी नवरात्रि, चैत्र या शरद, की शुरुआत घटस्थापना या कलश स्थापना के साथ होती है, जहां एक बर्तन पर एक नारियल और कुछ पत्तियां रखी जाती हैं।

कलश आमतौर पर एक मिट्टी का बर्तन या तांबे का होता है और इसमें पानी, आम के पत्ते और ऊपर एक नारियल भरा जाता है। फिर इसे घर के मंदिर में माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के पास रखा जाता है।

नौ दिनों का उपवास

 

अनेक भक्त नौ दिनों का उपवास रखते हैं, जिसमें वे केवल फल, दूध और विशिष्ट खाद्य पदार्थ जैसे कि सबुदाना, कुट्टू आटा और सिंघाड़े का आटा खाते हैं। कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं, जहां वे नौ दिनों तक कोई पानी या भोजन नहीं खाते हैं, और अपनी शाम की प्रार्थनाओं के बाद या सीधे 10वें दिन उपवास तोड़ते हैं।

माँ दुर्गा की पूजा

जैसे नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक विशिष्ट अवतार को समर्पित होता है, लोग अपने घरों के मंदिरों में नवदुर्गा की तस्वीर रखते हैं। पहला दिन माँ शैलपुत्री के लिए है, दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी के लिए, तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा के लिए, चौथा दिन माँ कूष्मांडा के लिए, पांचवां दिन माँ स्कंदमाता के लिए, छठा दिन माँ कात्यायनी के लिए, सातवां दिन माँ कालरात्रि के लिए, आठवां दिन माँ महागौरी के लिए और अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री के लिए होता है।

उत्तर भारत में एक अन्य सामान्य अनुष्ठान कन्या पूजा है, जहां छोटी लड़कियों, या कंजक्स, को घरों में बुलाया जाता है और पूजा के बाद उन्हें प्रसाद खिलाया जाता है। कुछ लोग अष्टमी, आठवें दिन, पर कन्या पूजा करते हैं और अन्य नवमी, नौवें और अंतिम दिन, पर करते हैं। उन्हें प्रसाद के रूप में पूरी, छोले, हलवा, नारियल और अधिक दिया जाता है, और उन्हें कुछ फल खाने और पैसे देने के लिए भी दिया जाता है।

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Aloe vera: 15 health benefits: एलोवेरा के पौधे के 15 फायदे

Highlights: Aloe vera health benefits, Aloe vera benefits, एलोवेरा के पौधे के फायदे

Aloe vera जिसे हिंदी में घृतकुमारी या घीकुआँर भी कहते हैं ,एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है, जिसका वैज्ञानिक नाम एलो बारबाडेंसिस है। यह एक सुकुलेंट पौधा है, जिसकी पत्तियाँ मोटी और गूदेदार होती हैं। एलोवेरा का पौधा आमतौर पर गर्म और शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है

अन्य नाम:
क्वारगंदल, ग्वारपाठा

पौधे का प्रकार:
यह एक रसीला पौधा है, जिसके मोटे, गूदेदार पत्ते होते हैं.

उपयोग:
औषधीय: एलोवेरा का उपयोग त्वचा की समस्याओं, जैसे कि सनबर्न, घाव और खुजली के लिए किया जाता है.
सौंदर्य प्रसाधन: एलोवेरा जेल का उपयोग त्वचा और बालों की देखभाल के लिए किया जाता है.
खाद्य: एलोवेरा का उपयोग जूस, सूप और अन्य खाद्य पदार्थों में किया जाता है.

Aloe vera: 15 health benefits: एलोवेरा के पौधे के 15 फायदे

Aloe vera के पौधे के कई फायदे हैं:

Aloe vera के नियमित उपयोग से शरीर को कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। नीचे इसके कुछ प्रमुख लाभों का उल्लेख किया गया है:

1. त्वचा की नमी के लिए एलोवेरा के लाभ

त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए एलोवेरा एक उत्कृष्ट विकल्प है। इसमें 98% पानी होता है जो त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है। यह त्वचा को मुलायम बनाता है और इसे लंबे समय तक मॉइस्चराइज रखता है। इसका जैल त्वचा पर एक परत बनाता है जो नमी को लॉक कर देता है और त्वचा को फटने या डिहाइड्रेशन से बचाता है।

2. मुहांसे और दाग-धब्बों के उपचार में एलोवेरा

एलोवेरा का उपयोग त्वचा पर मुहांसे और दाग-धब्बों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण मुंहासों को कम करने में मदद करते हैं। त्वचा पर ऐलोवेरा लगाने से इसकी गहराई से सफाई और त्वचा की प्राकृतिक चमक आ जाती है। इसका एंटीसेप्टिक गुण त्वचा पर होने वाले दाग-धब्बों को हल्का करता है और नई त्वचा को बढ़ने में मदद करता है।

3. रूसी को दूर करने के लिए एलोवेरा के फायदे

ऐलोवेरा को लगाने का फायदा यह भी है कि यह बालों की समस्याओं में खासकर रूसी के इलाज में बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका उपयोग स्कैल्प की सफाई करने और उसमें जमा होने वाले फंगस और बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए किया जाता है। इसका एंटीफंगल गुण बालों में होने वाली समस्याओं को ठीक करता है और स्कैल्प को स्वस्थ बनाता है।

4. बालों की वृद्धि में एलोवेरा का महत्व

एलोवेरा में एंजाइम्स और प्रोटियोलाइटिक गुण होते हैं जो बालों की जड़ों को पोषण देकर बालों की वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं। एलोवेरा का नियमित उपयोग बालों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। यह बालों की जड़ों को साफ करता है और बालों के विकास में मदद करता है।

5. पाचन स्वास्थ्य में एलोवेरा का योगदान

एलोवेरा का जूस पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। इसके नियमित सेवन से कब्ज, एसिडिटी और पेट की समस्याएं कम हो जाती हैं। एलोवेरा में पाये जाने वाले एंजाइम्स पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं और शरीर को पोषक तत्वों को अच्छे से अवशोषित करने में मदद करते हैं। इसका उपयोग आंतों की सफाई के लिए भी किया जाता है।

6. डिटॉक्सिफिकेशन के लिए एलोवेरा के गुण

एलोवेरा शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है। इसके सेवन से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। एलोवेरा का जूस लिवर और किडनी के कार्य को सुधारने में भी मदद करता है जो शरीर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए आवश्यक हैं।

7. घाव भरने और जलन में एलोवेरा की भूमिका

एलोवेरा का जैल घावों और जलन को ठीक करने के लिए अत्यधिक उपयोगी होता है। इसमें प्राकृतिक एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो जलन और सूजन को कम करते हैं। घावों पर इसका उपयोग करने से घाव जल्दी भरते हैं और त्वचा पर निशान कम होते हैं।

8. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में एलोवेरा

एलोवेरा में मौजूद विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। इसका नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और शरीर को बीमारियों से बचाता है।

9. वजन प्रबंधन में एलोवेरा के फायदे

वजन घटाने में एलोवेरा का उपयोग लाभकारी होता है। इसका जूस शरीर की मेटाबोलिक दर को बढ़ाता है जिससे कैलोरी बर्न होती है और वजन कम होता है। यह शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और फैट को बर्न करने में मदद करता है।

10. ब्लड शुगर नियंत्रण में एलोवेरा के उपयोग

एलोवेरा का उपयोग डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। इसका सेवन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को भी बढ़ावा देता है जिससे ब्लड शुगर का स्तर संतुलित रहता है।

11. सूर्य की हानिकारक किरणों से त्वचा की सुरक्षा

एलोवेरा जैल में प्राकृतिक सनस्क्रीन वाले गुण होते हैं जो त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने में मदद करते हैं। इसका उपयोग सनबर्न को ठीक करने और त्वचा की रंगत को बरकरार रखने में भी किया जाता है। एलोवेरा का उपयोग त्वचा की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक होता है जिससे त्वचा पर पड़ी सूरज की हानिकारक किरणों का असर कम होता है।

12. एंटी-एजिंग गुणों में एलोवेरा की भूमिका

एलोवेरा के एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। यह त्वचा को झुर्रियों और फाइन लाइन्स से बचाता है और त्वचा की ताजगी बनाए रखता है। एलोवेरा जैल को नियमित रूप से लगाने से त्वचा में कोलेजन का उत्पादन बढ़ता है जिससे त्वचा में निखार आता है।

13. कब्ज और पाचन समस्याओं के लिए एलोवेरा

एलोवेरा का जूस कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है। इसमें पाये जाने वाले एंजाइम्स पाचन तंत्र को सक्रिय करते हैं और भोजन को आसानी से पचने में मदद करते हैं। इसके सेवन से गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं भी कम होती हैं।

14. दांत और मसूड़े की देखभाल में एलोवेरा

एलोवेरा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो दांत और मसूड़ों की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इसका उपयोग माउथवॉश के रूप में करने से मसूड़ों की सूजन कम होती है और दांतों की सड़न से बचाव होता है।

15. सूजन और जलन कम करने में एलोवेरा के लाभ

एलोवेरा का उपयोग सूजन और जलन को कम करने के लिए किया जाता है। इसमें एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली सूजन और जलन को कम करते हैं। इसका जैल लगाने से मांसपेशियों की सूजन और जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है।

Aloe vera की खेती

Aloe vera की खेती करना बहुत आसान है। यह पौधा गर्म और शुष्क क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगता है। एलोवेरा की खेती के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

1. मिट्टी: एलोवेरा की खेती के लिए अच्छी तरह से जल निकासी वाली मिट्टी का चयन करना चाहिए।
2. तापमान: एलोवेरा की खेती के लिए गर्म तापमान का चयन करना चाहिए। यह पौधा 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अच्छी तरह से उगता है।
3. पानी: एलोवेरा की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। यह पौधा सूखे की स्थिति में भी अच्छी तरह से उगता है।
4. निराई-गुड़ाई: एलोवेरा की खेती के लिए नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। यह पौधे को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

पौधे की देखभाल:

Aloe vera को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए मिट्टी को पूरी तरह से सूखने दें, तभी पानी दें.
इसे धूप वाली जगह पर रखें, लेकिन सीधी धूप से बचाएं.
एलोवेरा को नियमित रूप से खाद दें, खासकर अगर आप इसे घर में उगा रहे हैं.
एलोवेरा के पौधे को खरपतवारों से मुक्त रखें.

Aloe vera: 15 health benefits: एलोवेरा के पौधे के 15 फायदे

Aloe vera के फायदे:

त्वचा को ठंडक प्रदान करता है.
घावों को ठीक करने में मदद करता है.
पाचन में मदद करता है.
शरीर को डिटॉक्स करता है.
इम्युनिटी बढ़ाता है.
सूजन कम करने में मदद करता है.

Aloe vera को जल्दी कैसे बढ़ाएं?

Aloe vera  रोशनी में बहुत तेजी से बढ़ते हैं। इसके लिए आप नेचुरल और आर्टिफिशियल दोनों तरह की रोशनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि एलोवेरा का गमला लगभग 15-17 घंटे रोशनी में रहें। लेकिन ध्यान रखें कि इसे आपको धूप में डायरेक्ट नहीं रखना है।

Aloe vera के नुकसान:

कुछ लोगों को एलोवेरा से एलर्जी हो सकती है.
अधिक मात्रा में एलोवेरा का सेवन करने से पेट में दर्द हो सकता है.

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Holika Dahan 2025 (होलिका दहन ) – सही Date 13 या 14, कब है होलिका दहन , शुभ मुहूर्त , समय

Holika Dahan 2025 Muhurat: हर साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन करने की परंपरा है. इस साल होलिका दहन 13 मार्च दिन गुरुवार को किया जाएगा. होलिका दहन पर भद्रा काल का साया भी रहने वाली है. ज्योतिषविदों की मानें तो छोटी होली पर पूरे दिन भद्रा का साया रहेगा. इसलिए होलिका दहन के लिए लोगों को बहुत कम समय ही मिलने वाला है. आइए आपको होलिका दहन का मुहूर्त और कथा बताते हैं.

इस कथा को Holika Dahan के त्योहार के दौरान मनाया जाता है, जहां बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक करने के लिए आग जलाई जाती है। यह त्योहार आमतौर पर होली के त्योहार से एक दिन पहले मनाया जाता है।

Highlights

  1. Holika Dahan 2025 डेट (Holika Dahan 2025, Shubh Muhurta, Date, Time)
  2. Holika kaun Thi ( होलिका कौन थी)
  3. Holika Dahan का महत्त्व :-

 

Holika Dahan के लिए शुभ मुहूर्त

 Holika Dahan का शुभ मुहूर्त 13 मार्च 2025 को है, जब पूर्णिमा तिथि 10:35 बजे से प्रारंभ होगी और 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी।

Holika Dahan 2025 (होलिका दहन ) - सही Date, कब है होलिका दहन , शुभ मुहूर्त , समय

– भद्रा काल: शाम को 06:57 से रात्रि 08:14 तक रहेगा और इसका मुख काल रात्रि 08:14 से रात्रि 10:22 तक रहेगा।
– होलिका पूजा का मुहूर्त: शाम को 7:30 से रात्रि 08:00 के बीच होलिका की पूजा कर सकते हैं।
– होलिका दहन का मुहूर्त: रात्रि को 10:44 के बाद होलिका दहन का मुहूर्त है।

कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि भद्राकाल पूर्णत: मध्यरात्रि 11:26 पर समाप्त होगी, इसलिए मध्यरात्रि 11:26 से 12:30 के बीच होलिका दहन करें।

 

Holika kaun Thi ( होलिका कौन थी) :-

होलिका हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण पात्र है, विशेष रूप से होलिका दहन की कथा में। वह एक असुरी या राक्षसी थी, और असुर राजाओं हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष की बहन थी। होलिका प्रहलाद की पितृव्या भी थी, जो भगवान विष्णु के एक भक्त थे .
कथा के अनुसार, होलिका को एक वरदान प्राप्त था जो उसे आग से अप्रभावित बनाता था। उसके भाई हिरण्यकश्यप, जो एक निर्दयी राजा थे, प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति के लिए मारना चाहते थे। होलिका ने मदद करने की पेशकश की और प्रहलाद को अपने साथ जलती हुई चिता पर बैठने के लिए कहा। हालांकि, जब आग तेज हुई, तो होलिका जलकर मर गई, जबकि प्रहलाद सुरक्षित बच गया ।

Holika Dahan का महत्त्व :-

Holika Dahan 2025 (होलिका दहन ) - सही Date 13 या 14, कब है होलिका दहन , शुभ मुहूर्त , समय

होलिका दहन का त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है, और इसका जश्न मनाने के कई कारण हैं:

धार्मिक कारण

1. बुराई पर अच्छाई की जीत: होलिका दहन का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि सच्चाई और न्याय हमेशा जीतते हैं।

2. भगवान विष्णु की कृपा: होलिका दहन का त्योहार भगवान विष्णु की कृपा का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

3. प्रहलाद की भक्ति: होलिका दहन का त्योहार प्रहलाद की भक्ति का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और विश्वास से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

 सांस्कृतिक कारण

1. रंगों का त्योहार: होलिका दहन का त्योहार रंगों का त्योहार है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि जीवन में रंगों का महत्व है और हमें जीवन को रंगीन बनाना चाहिए।

2. सामाजिक एकता: होलिका दहन का त्योहार सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि हमें एक दूसरे के साथ मिलकर जीवन जीना चाहिए।

3. नई शुरुआत: होलिका दहन का त्योहार नई शुरुआत का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि हमें जीवन में नई शुरुआत करनी चाहिए और पुरानी बातों को भूलना चाहिए।

Holi 2025 Date: Holi and Holika Dahan 2025: Correct date, muhurat timings, rituals, significance, and all one needs to know | – The Times of India

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Durga Chalisa: श्री दुर्गा चालीसा: The Ultimate Divine Protector 30 days Stotra

Durga Chalisa: श्री दुर्गा चालीसा

Durga Chalisa मां दुर्गा के भक्तों के लिए प्रस्तुत हैं पावन श्री दुर्गा चालीसा। जिसके नित्य पाठ से माता दुर्गा आपके सारे दुखों को हरण करके अपनी असीम कृपा आप पर बरसाएंगी…।
सुख शांति व समृद्धि के उद्देश्य तथा समाज में फैल रही सामाजिक बुराइयों को नष्ट करने में फलदायी है दुर्गा चालीसा।

आध्यात्मिक महत्व

1. देवी दुर्गा की कृपा: Durga Chalisa का पाठ करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, जो हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाती है।
2. आध्यात्मिक शक्ति: Durga Chalisa में वर्णित मंत्र और श्लोक हमारे आध्यात्मिक जीवन को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
3. भक्ति और श्रद्धा: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे अंदर देवी दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा बढ़ती है।

मानसिक और भावनात्मक महत्व

1. मानसिक शांति: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
2. भावनात्मक संतुलन: Durga Chalisa में वर्णित मंत्र और श्लोक हमारे भावनात्मक जीवन को संतुलित बनाने में मदद करते हैं।
3. आत्मविश्वास: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे अंदर आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।

 व्यावहारिक महत्व

1. रक्षा और सुरक्षा: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे जीवन में रक्षा और सुरक्षा की भावना बढ़ती है।
2. स्वास्थ्य और समृद्धि: Durga Chalisa में वर्णित मंत्र और श्लोक हमारे स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
3. सुख और शांति: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे जीवन में सुख और शांति की भावना बढ़ती है।


Durga Chalisa के पाठ को शुरू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:

  • पाठ के लिए तैयारी
    1. शुद्धता और पवित्रता: पाठ करने से पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध और पवित्र करें। इसके लिए आप स्नान करें, पवित्र वस्त्र पहनें और अपने मन को शांत करें।
    2. एकांत और शांति: एकांत और शांति से भरे स्थान पर पाठ करें। इससे आपको अपना ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
    3. मां दुर्गा की पूजा: पाठ करने से पहले मां दुर्गा की पूजा करें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए फूल, फल और अन्य चीजें चढ़ाएं।

  •  पाठ के दौरान
    1. ध्यान और एकाग्रता: पाठ करते समय अपना ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें। अपने मन को शांत रखें और पाठ पर अपना ध्यान केंद्रित करें।
    2. भावना और श्रद्धा: पाठ करते समय अपने मन में भावना और श्रद्धा रखें। मां दुर्गा के प्रति अपनी भावना और श्रद्धा को व्यक्त करें।
    3. स्पष्ट और धीमी गति से पाठ करें: पाठ करते समय अपनी आवाज को स्पष्ट और धीमी गति से रखें। इससे आपको अपना ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

  •  पाठ के बाद
    1. मां दुर्गा को धन्यवाद दें: पाठ करने के बाद मां दुर्गा को धन्यवाद दें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए फूल, फल और अन्य चीजें चढ़ाएं।
    2. अपने जीवन में सुधार करें: पाठ करने के बाद अपने जीवन में सुधार करें और मां दुर्गा की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें। अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रयास करें।

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Durga Chalisa: श्री दुर्गा चालीसा

 

Durga Chalisa: श्री दुर्गा चालीसा: The Ultimate Divine Protector 30 days Stotra

नमो-नमो दुर्गे सुख करनी I

नमो-नमो अम्बे दुःख हरनी II

निरंकार है ज्योति तुम्हारी I

तिहुँ लोक फैली उजियारी II

शशि ललाट मुख महाविशाला I

नेत्र लाल भृकुटि विकराला II

रूप मातु को अधिक सुहावे I

दरश करत जन अति सुख पावे II

तुम संसार शक्ति लै कीना I

पालन हेतु अन्न धन दीना II

अन्नपूर्णा हुई जग पाला I

तुम ही आदि सुन्दरी बाला II

प्रलयकाल सब नाशन हारी I

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी II

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें I

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें II

रूप सरस्वती को तुम धारा I

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा II

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा I

परगट भई फाड़कर खम्बा II

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो I

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो II

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं I

श्री नारायण अंग समाहीं II

क्षीरसिन्धु में करत विलासा I

दयासिन्धु दीजै मन आसा II

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी I

महिमा अमित न जात बखानी II

मातंगी धूमावति माता I

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता II

श्री भैरव तारा जग तारिणी I

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी II

केहरि वाहन सोह भवानी I

लांगुर वीर चलत अगवानी II

कर में खप्पर खड्ग विराजै I

जाको देख काल डर भाजै II

सोहै कर में अस्त्र त्रिशूला I

जाते उठत शत्रु हिय शूला II

नगरकोट में तुम्हीं विराजत I

तिहुंलोक में डंका बाजत II

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे I

रक्तबीज शंखन संहारे II

महिषासुर नृप अति अभिमानी I

जेहि अघ भार मही अकुलानी II

रूप कराल कालिका धारा I

सेन सहित तुम तिहि संहारा II

परी भीड़ संतन पर जब-जब I

भई सहाय मातु तुम तब-तब II

अमरपुरी अरु बासव लोका I

तब महिमा सब कहें अशोका II

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी I

तुम्हें सदा पूजें नर-नारी II

प्रेम भक्ति से जो यश गावें I

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें II

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई I

जन्म-मरण ते सो छुटि जाई II

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी I

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी II

शंकर आचारज तप कीनो I

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो II

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को I

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको II

शक्ति रूप का मरम न पायो I

शक्ति गई तब मन पछतायो II

शरणागत हुई कीर्ति बखानी I

जय-जय-जय जगदम्ब भवानी II

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा I

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा II

मोको मातु कष्ट अति घेरो I

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो II

आशा तृष्णा निपट सतावें I

रिपू मुरख मौही अति डरपावे II

शत्रु नाश कीजै महारानी I

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी II

करो कृपा हे मातु दयाला I

ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला II

जब लगि जिऊं दया फल पाऊँ I

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ II

दुर्गा चालीसा जो गावै I

सब सुख भोग परमपद पावै II

देवीदास शरण निज जानी I

करहु कृपा जगदम्ब भवानी II

 


 

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