Sawan (Shravan) Mass 2025 Date: 10 या 11 July – जानें शुभ व्रत विधि, पूजन-पूरी कथा और सोमवार तिथियों का शानदार समय

Sawan (Shravan) Mass 2025 Date कब से शुरू हो रहा है  श्रावण मास हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान श्रद्धालु व्रत रखते हैं, कांवड़ यात्रा करते हैं और हर सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। वैदिक …

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🔱 अद्भुत रहस्य: Bhagavan Vishnu Ji के 10 अवतार, चमत्कारी शक्तियाँ, पूजा विधि व आरती संग्रह

✨ Bhagavan Vishnu Ji: सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में 🔱 परिचय: Bhagavan Vishnu ji हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं, जिन्हें पालनहार कहा जाता है। वे सृष्टि के पालन और संतुलन के लिए जाने जाते हैं। शिव और ब्रह्मा के साथ मिलकर वे सृष्टि, पालन और संहार के कार्यों को संचालित करते हैं। 🌟 …

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Shree Premanand Maharaj: एक प्रेरणादायक संत का दिव्य जीवन, 5 अमूल्य शिक्षाएं और भक्ति

Shree Premanand Maharaj का जीवन, उनकी शिक्षाएं, भक्ति मार्ग और राधा रानी के प्रति उनका समर्पण। सम्पूर्ण जीवनी हिंदी में।

भारतवर्ष की भूमि संतों और महापुरुषों की जन्मभूमि रही है। इन्हीं दिव्य आत्माओं में से एक हैं श्री प्रेमानंद जी महाराज, जिनकी वाणी, जीवन और भक्ति ने लाखों श्रद्धालुओं के जीवन को नई दिशा दी है। ब्रजभूमि (वृंदावन) में श्री राधा-कृष्ण की अखंड सेवा करने वाले प्रेमानंद जी महाराज आज भक्ति मार्ग के एक प्रेरणास्रोत बन चुके हैं।

Shree Premanand Maharaj  जन्म और प्रारंभिक जीवन

Shree Premanand Maharaj: 5 चमत्कारी शिक्षाएं और उनके भक्ति जीवन के अद्भुत रहस्य

Shree Premanand Maharaj  का जन्म एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था।हमारे सबसे प्रिय सन्यासी राधावल्लभी संत, अनिरुद्ध कुमार पांडे (प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम), महाराज जी का जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका पूरा परिवार भगवान के प्रति समर्पित रहा है। प्रेमानंद महाराज जी का जन्म स्थान सरसौल ब्लॉक, आखिरी गांव, कानपुर, उत्तर प्रदेश में सन 1972 में हुआ। इनका बचपन ही अध्यात्म की ओर उन्मुख था। वे हमेशा साधुओं और संतों की संगति की खोज में रहते थे। माता-पिता ने उन्हें गृहस्थ जीवन के लिए तैयार करना चाहा, लेकिन उनका मन श्री राधा-कृष्ण की भक्ति में रम गया।प्रेमानंद महाराज जी के पिता श्री शंभू पांडे ने भी बाद के वर्षों में संन्यास स्वीकार कर लिया था। उनकी पूजनीय माता श्री रमा देवी दुबे भी बहुत धार्मिक थी। वह सभी संतों का बहुत सम्मान किया करती थी। उनके माता-पिता दोनों ही नियमित रूप से मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में संत सेवा किया करते थे। बाबाजी के एक बड़े भाई भी हैं। घर में पवित्र माहौल ने प्रेमानंद जी के मन में आध्यात्मिक ज्योति को और बढ़ा दिया। प्रेमानंद जी महाराज ने बहुत ही कम आयु में पूजा पाठ करना शुरू कर दिया था। बचपन में पांचवी क्लास में ही उन्होंने भगवद गीता पढ़ना शुरू कर दिया था। छोटी सी उम्र में ही महाराज जी जीवन के हर पहलुओं के बारे में सोचना शुरु कर दिया था। ऐसा कहा जाता है कि एक बार महाराज जी के मन में सवाल आया कि क्या माता पिता का प्यार हमेशा बना रहता है? वह लगातार आध्यात्मिकता की तलाश कर रहे थे।

वृंदावन की ओर प्रस्थान

Shree Premanand Maharaj: एक प्रेरणादायक संत का दिव्य जीवन, 5 अमूल्य शिक्षाएं और भक्ति

Shree Premanand Maharaj  महाराज ने 9th कक्षा में ही आध्यात्मिक जीवन जीने और ईश्वर तक पहुंचने वाले मार्ग की खोज करने का फैसला किया। वे इस नेक काम के लिए अपने परिवार से अलग होने के लिए तैयार थे। जिस वक्त महाराज जी ने यह फैसला किया उनकी उम्र सिर्फ 13 वर्ष थी। वह बिना किसी को बताए सुबह तीन बजे अपने घर से निकल गए थे। युवावस्था में ही घर त्यागने के बाद उन्होंने नैष्ठिक ब्रह्मचारी की दीक्षा ग्रहण कर ली थी। संत के रूप में उनका नया नाम श्री आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी था, और इसके बाद उन्होंने जीवनभर के लिए संन्यास ले लिया था।बहुत ही कम उम्र में उन्होंने संसार का त्याग कर दिया और वृंदावन धाम की ओर प्रस्थान किया। वृंदावन में उन्होंने श्री राधा रानी की सेवा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। वे कहते हैं – “जो राधा रानी को पा गया, उसे कुछ और पाने की आवश्यकता नहीं।”

वाणी और प्रवचन की विशेषता

Shree Premanand Maharaj: एक प्रेरणादायक संत का दिव्य जीवन, 5 अमूल्य शिक्षाएं और भक्ति

Shree Premanand Maharaj  की वाणी अत्यंत मधुर, सरल और हृदयस्पर्शी होती है। उनके प्रवचन केवल ज्ञान नहीं देते, बल्कि आत्मा को झकझोरते हैं। वे श्रीमद्भागवत, रामायण, गीता जैसे ग्रंथों की व्याख्या अत्यंत सरल भाषा में करते हैं।

प्रमुख शिक्षाएँ

– राधा नाम का जाप करें: राधा नाम में ही संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति समाहित है।

– सेवा और प्रेम से भक्ति करें: केवल मंत्र जपने से नहीं, प्रेम भाव और सेवा से ही भगवान प्रसन्न होते हैं।

– सत्संग करें: संतों की संगति में जीवन का सही मार्ग मिलता है।

– दया और क्षमा: दूसरों के प्रति करुणा और क्षमा का भाव रखना चाहिए।

– वृंदावन को अपने हृदय में बसाएं: जहां प्रेम है, वहां वृंदावन है।

सेवा कार्य और आश्रम

Shree Premanand Maharaj: एक प्रेरणादायक संत का दिव्य जीवन, 5 अमूल्य शिक्षाएं और भक्ति

Shree Premanand Maharaj  वृंदावन में श्री वृंदावन धाम सेवा आश्रम का संचालन करते हैं। यह आश्रम न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि गरीबों और संतों की सेवा का प्रमुख स्थान भी है।

लोकप्रियता और सोशल मीडिया प्रभाव

उनके प्रवचनों को यूट्यूब, फेसबुक आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर करोड़ों लोग देखते हैं। उनके वीडियो युवाओं में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं, क्योंकि वे आत्मा और मन को स्पर्श करते हैं।

निष्कर्ष

Shree Premanand Maharaj  केवल एक संत नहीं, बल्कि वे एक जीवित प्रेरणा हैं। उनका जीवन हमें बताता है कि इस कलियुग में भी ईश्वर को पाना संभव है – यदि हमारे पास प्रेम हो, समर्पण हो और राधा रानी का नाम हो।

More Info – https://sarvasanatan.com/category/home/

डिसक्लेमर – उपरोक्त लेख में दी गई जानकारियाँ विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों, धार्मिक ग्रंथों, मान्यताओं, पंचांग एवं जनश्रुतियों से संकलित की गई हैं। यह केवल शैक्षिक एवं सांस्कृतिक जानकारी देने के उद्देश्य से साझा की गई हैं। इसकी प्रमाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि की हम कोई गारंटी नहीं देते। कृपया किसी भी प्रकार के आध्यात्मिक, सामाजिक या व्यक्तिगत निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

Amarnath Yatra 2025 – Unveiling the Powerful Divine Journey और आतंकी हमले की भयावह छाया”

Amarnath Yatra 2025 : एक आध्यात्मिक अनुभव​ अमरनाथ यात्रा हिंदू धर्म की एक प्रमुख तीर्थयात्रा है, जो हर वर्ष जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित अमरनाथ गुफा तक आयोजित की जाती है। यह यात्रा भगवान शिव के हिमलिंग के दर्शन के लिए की जाती है, जो प्राकृतिक रूप से बर्फ से बनता है।​ 📖 पौराणिक …

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🕉️ Kedarnath Temple 2025 – “केदारनाथ के 3 Powerful चमत्कार! भोलेनाथ के इस पवित्र धाम में छुपे हैं अद्भुत और रहस्यमयी रहस्य!”

Kedarnath Temple – भोलेनाथ की पवित्र भूमि

केदारनाथ मंदिर उत्तरी भारत का एक पवित्र तीर्थ केंद्र है, जो मंदाकिनी नदी के किनारे 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम “केदार खंड” है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में चार धाम और पंच केदार का हिस्सा है !
भारत के उत्तराखंड राज्य की ऊँचाईयों में बसा केदारनाथ मंदिर केवल एक तीर्थ स्थान नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और प्रकृति की दिव्यता का संगम है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चार धाम यात्रा का अहम हिस्सा भी है।

📍 Kedarnath Temple कहाँ स्थित है?

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है। यह समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। मंदिर के पीछे मंदाकिनी नदी बहती है, और यह हिमालय की बर्फीली चोटियों से घिरा हुआ है।यहाँ पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को गौरीकुंड से लगभग 16-18 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी होती है। आज के समय में हेलीकॉप्टर सेवा, खच्चर, और पालकी की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

Kedarnath Temple का महत्व

भगवान शिव का निवास: केदारनाथ भगवान शिव का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
पांडवों की कहानी: पांडवों की कहानी केदारनाथ के महत्व को और बढ़ाती है।
आध्यात्मिक महत्व: केदारनाथ का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है, और यह स्थल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है!

  • पांडवों द्वारा पीछा किए जाने पर, भगवान शिव ने जमीन में समा गए, और उनकी पीठ (कूबड़) केदारनाथ में सतह पर रह गई। भगवान शिव के शेष भाग चार अन्य स्थानों पर प्रकट हुए और उनकी अभिव्यक्तियों के रूप में पूजा की जाती है।

🕉️ Kedarnath Temple 2025 –

 

  • भगवान शिव के विभिन्न भाग
  1. टुंगनाथ: भगवान शिव की भुजाएं टुंगनाथ में प्रकट हुईं।
  2. रुद्रनाथ: भगवान शिव का मुख रुद्रनाथ में प्रकट हुआ।
  3. मध्यमहेश्वर: भगवान शिव का पेट मध्यमहेश्वर में प्रकट हुआ।
  4. कल्पेश्वर: भगवान शिव के बाल और सिर कल्पेश्वर में प्रकट हुए।

पंच केदार

केदारनाथ और उपरोक्त चार मंदिरों को पंच केदार के रूप में माना जाता है, जो भगवान शिव के पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों का समूह है। “पंच” संस्कृत में पांच का अर्थ है।

पंच केदार का महत्व

भगवान शिव की पूजा: पंच केदार में भगवान शिव की पूजा की जाती है।

: केदारनाथ मंदिर एक विशाल और भव्य संरचना है, जो एक विस्तृत मैदान के बीच में स्थित है, जो ऊंचे बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा हुआ है। मंदिर का निर्माण मूल रूप से 8वीं शताब्दी में जगद्गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था, और यह पांडवों द्वारा बनाए गए एक और भी पुराने मंदिर के स्थल के पास स्थित है।

मंदिर की विशेषताएं

– आसपास का दृश्य: मंदिर ऊंचे बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा हुआ है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है।
– आंतरिक सजावट: मंदिर के अंदरूनी दीवारों पर विभिन्न देवताओं और पौराणिक कथाओं के दृश्यों की आकृतियां बनी हुई हैं।
– नंदी की मूर्ति: मंदिर के बाहर एक बड़ी नंदी (बैल) की मूर्ति पहरेदार के रूप में खड़ी है।

Kedarnath Temple का इतिहास

– आदि शंकराचार्य: मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा 8वीं शताब्दी में किया गया था।
– पांडवों का मंदिर: मंदिर के पास एक पुराने मंदिर के अवशेष हैं, जो पांडवों द्वारा बनाए गए थे।
-भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर अद्वितीय वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर का निर्माण विशाल, भारी और समान रूप से कटे हुए ग्रे पत्थरों के स्लैब से किया गया है, जो इस बात का आश्चर्य पैदा करता है कि इन भारी स्लैबों को पहले के शताब्दियों में कैसे स्थानांतरित और संभाला गया था।

Kedarnath Temple की विशेषताएं

– गर्भगृह: मंदिर में पूजा के लिए एक गर्भगृह है।
– मंडप: मंदिर में एक मंडप है, जो तीर्थयात्रियों और आगंतुकों के लिए उपयुक्त है।
– शिलाखंड: मंदिर के अंदर एक शंक्वाकार शिलाखंड है, जिसकी भगवान शिव के सदाशिव रूप में पूजा की जाती है।

Kedarnath Temple की वास्तुकला

– विशाल पत्थर: मंदिर का निर्माण विशाल और भारी पत्थरों से किया गया है।
– अद्वितीय निर्माण: मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय और आकर्षक है।

 

🕉️ Kedarnath Temple 2025 –

🏞️ स्थान की विशेषता

केदारनाथ का प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा है जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो। मंदिर के पीछे बर्फ से ढकी हुई केदार डोम पर्वत श्रृंखला, शांत वातावरण, और चारों ओर गूंजती “हर हर महादेव” की गूंज – यह सब मिलकर इस स्थान को एक अलौकिक अनुभव बना देते हैं।

📜 पौराणिक कथाएं

केदारनाथ से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा महाभारत से जुड़ी है:

🔱 पांडवों की शिव दर्शन की कथा:
महाभारत युद्ध के बाद, पांडव अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव के दर्शन करना चाहते थे। लेकिन शिव उनसे रुष्ट थे और उन्होंने बैल (नंदी) का रूप धारण कर लिया और केदार की पहाड़ियों में छुप गए। जब पांडव उन्हें ढूँढते हुए पहुँचे, तो शिव धरती में समा गए। उनकी पीठ (हंप) जो बाहर रह गई, वहीं पर केदारनाथ मंदिर की स्थापना हुई।

भगवान शिव के शरीर के अन्य भाग अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए जिन्हें पंच केदार कहा जाता है।

🌟 Kedarnath Temple के चमत्कार

🕉️ Kedarnath Temple 2025 –

 

🌊 2013 की बाढ़ और मंदिर की रक्षा:

2013 की भयावह बाढ़ में जब पूरा इलाका तबाह हो गया, तब भी केदारनाथ मंदिर अडिग खड़ा रहा। मंदिर के पीछे आकर एक बड़ा पत्थर (भीम शिला) रुक गया और उसने मंदिर को पानी से बचा लिया। इसे आज भी एक दैवीय चमत्कार माना जाता है।

🕉️ स्वयंभू शिवलिंग:

केदारनाथ में स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है – यानी यह प्राकृतिक रूप से प्रकट हुआ है, मानव निर्मित नहीं है।

🌌 रात में मंदिर में देवों का वास:

स्थानीय मान्यता है कि जब मंदिर के दरवाजे बंद होते हैं, तब देवता स्वयं रात्रि में मंदिर में निवास करते हैं। इसलिए कोई भी मानव रात में मंदिर परिसर में नहीं रहता !

 Kedarnath Temple  कैसे पहुंचे :-

– हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो केदारनाथ से लगभग 220 किमी दूर है।
– रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो केदारनाथ से लगभग 223 किमी दूर है।
– सड़क मार्ग: केदारनाथ तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग भी उपलब्ध है, लेकिन मंदिर तक पहुंचने के लिए 16 किमी की चढ़ाई करनी पड़ती है।
: उत्तराखंड के चमोली जिले में भगवान शिव को समर्पित 200 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण केदारनाथ है।

किंवदंती के अनुसार, महाभारत के युद्ध में कौरवों को हराने के बाद पांडवों को अपने परिवार और रिश्तेदारों को मारने का पाप महसूस हुआ और उन्होंने भगवान शिव से माफी मांगने का फैसला किया। भगवान शिव उनसे बचने के लिए केदारनाथ में एक बैल के रूप में छुप गए।

🗓️ Kedarnath Temple खुलने की तिथि 2025

केदारनाथ मंदिर हर साल सर्दियों में 6 महीने के लिए बंद रहता है, क्योंकि वहाँ भारी बर्फबारी होती है। मंदिर हर वर्ष अक्षय तृतीया या उसके आस-पास खोला जाता है।गढ़वाल हिमालय की मनमोहक पहाड़ियों में बसा केदारनाथ मंदिर 6 महीने तक बंद रहने के बाद अब 2 मई को फिर से खुलने वाला है. यह मंदिर, सबसे पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है, जो चार धाम यात्रा का हिस्सा है. हर साल हजारों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होने आते हैं.। मंदिर हर वर्ष अक्षय तृतीया या उसके आस-पास खोला जाता है।

📅 संभावित खुलने की तिथि: 2 मई 2025
🕕 समय: प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में विशेष पूजा के साथ
यह तिथि महाशिवरात्रि को पंचांग देखकर आधिकारिक रूप से घोषित की जाती है।

🙏 निष्कर्ष
केदारनाथ केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मा से जुड़ने की एक यात्रा है। यहाँ आकर हर व्यक्ति कुछ न कुछ नया अनुभव करता है – चाहे वह आस्था हो, प्रकृति की सुंदरता, या भगवान शिव का चमत्कारिक आभास।

डिसक्लेमर: ‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी ,सामग्री,गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों,/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

🚩 हर हर महादेव!

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Kamakhya Devi Temple-5 Reasons Why It’s India’s Most Powerful Shakti Peeth

Kamakhya Devi Temple:जानिए कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य, पौराणिक कथा, अंबुबाची मेला, तांत्रिक साधना और गुवाहाटी स्थित इस शक्ति पीठ तक कैसे पहुंचे। सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में।

Kamakhya Devi Temple कहाँ है ?

असम का कामाख्या देवी मंदिर सालों से तांत्र‍िकों, अघोर‍ियों, प्रेत साधना करने वाले साधुओं के ल‍िए भक्‍ति का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता रहा है. मां कामाख्‍या के इस मंदिर के प्रांगण में पहुंचते ही भक्‍तों को असीम शक्‍तियों का आभास होता है. असम की राजधानी द‍िसपुर से 10 क‍िलोमीटर दूर ये शक्‍तिपीठ नीलांचल पर्वत के पास है. इस मंद‍िर में एक गुफा है जहां हमेशा गुप अंधेरा रहता है.

Kamakhya Devi Temple: 5 Reasons Why It’s India’s Most Powerful Shakti Peeth

 पौराणिक कथा : – माता सती के पिता दक्ष द्वारा एक यज्ञ रखा गया, जिसमें उन्होंने जानबूझकर शिव जी को आमंत्रित नहीं किया। वहीं, शंकर जी के रोकने पर भी जिद कर सती यज्ञ में शामिल होने चली गईं जब दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान किया गया तो इससे सती माता बहुत ही आहत हो गईं। और उन्होंने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणों की आहुति दे थी।

भगवान शंकर को जब यह पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। उसके बाद भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुखी हुए इधर-उधर घूमने लगे। इस बीच भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर को काट दिया। माता सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वह सभी स्थान 51 शक्तिपीठ कहलाए !

शिव पुराण के अनुसार, देवी सती के शरीर के अंग जब पृथ्वी पर गिरे, तो उनकी योनि (जनन अंग) नीलांचल पर्वत पर गिरा। इस स्थान पर कामाख्या देवी की स्थापना हुई और इसे 51 शक्ति पीठों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है।यहाँ कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक शिला है जो सदैव जल से भीगी रहती है – यही है देवी की शक्ति का प्रतीक।

अंबुबाची मेला और माँ का चमत्कार : –

हर साल जून महीने में अंबुबाची मेला आयोजित होता है। यह माना जाता है कि इस समय माँ कामाख्या रजस्वला होती हैं। मंदिर तीन दिनों के लिए बंद रहता है और चौथे दिन विशेष पूजन के साथ खुलता है।
अंबुबाची मेला में लाखों श्रद्धालु माँ का आशीर्वाद लेने आते हैं और “रजस्वला जल” व “लाल वस्त्र” को प्रसाद रूप में प्राप्त करते हैं।

Kamakhya Devi Temple क्यों 3 दिनों तक बंद रहता है ? 

22 जून से 25 जून के बीच मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, जिस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का जल लाल रहता है। माना जाता है कि इन दिनों माता सती रजस्वला रहती हैं। इन 3 दिनों के लिए पुरुषों को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती। वहीं, 26 जून को सुबह भक्तों के लिए मंदिर खोला जाता है, जिसके बाद भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं। भक्तों को यहां पर अनोखा प्रसाद मिलता है। तीन दिन देवी सती के मासिक धर्म के चलते माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है। तीन दिन बाद कपड़े का रंग लाल हो जाता है, तो इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।

अंबुबाची मेला 2025, खामाख्या देवी मासिक धर्म, कामाख्या का चमत्कार

 Kamakhya Devi Temple – तांत्रिक साधना का प्रमुख केंद्र

Kamakhya Devi Temple को तांत्रिक विद्या का केंद्र माना जाता है। यहाँ अनेक साधक विशेष तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते हैं, विशेषकर गुप्त नवरात्रि में। यह मंदिर कामरूप कामाख्या के नाम से भी प्रसिद्ध है। तंत्र-साधना, स्त्री-शक्ति और जनन-शक्ति का यह संगम स्थल विश्व में अद्वितीय है।

Kamakhya Devi Temple: 5 Reasons Why It’s India’s Most Powerful Shakti Peeth

Kamakhya Devi Temple की वास्तुकला और विशेषताएँ

मंदिर की शैली: नगरी स्थापत्य कला
रंग: गुलाबी व सुनहरा
मुख्य गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं, बल्कि शिला रूपी योनि का पूजन
मंदिर परिसर में दस महाविद्याओं की मूर्तियाँ भी विराजमान है !

स्थान :

नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम – भारत

कैसे जाएँ Kamakhya Devi Temple:

रेलवे स्टेशन: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन (8 किमी)
हवाई अड्डा: लोकप्रिया गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (20 किमी)
स्थानीय ट्रांसपोर्ट: टैक्सी, ऑटो, और केबल कार सेवा उपलब्ध

निष्कर्ष – क्यों जाएँ Kamakhya Devi Temple?

Kamakhya Devi Temple केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, यह एक आध्यात्मिक अनुभव है। यह मंदिर हमें याद दिलाता है कि स्त्री ही सृष्टि की जननी है, और उसकी शक्ति का सम्मान करना हमारा धर्म है !यदि आप आध्यात्मिक यात्रा पर हैं, या जीवन में चमत्कारी बदलाव चाहते हैं, तो कामाख्या माँ के दरबार में जरूर जाएँ।

डिसक्लेमर: ‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी ,सामग्री,गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों,प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना ही समझे। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

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Unlock the Power of Shiv Ji Ki Aarti and 3 benefits: ओम जय शिव ओंकारा

Unlock divine blessings with Shiv Ji Ki Aarti ‘Om Jai Shiv Omkara’—discover 3 powerful benefits: spiritual liberation, fulfilled desires, and cosmic balance. Learn the correct way to perform it!

शिव जी की पूजा के दौरान आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आप भी शिवरात्रि पर जरुर करें शिव आरती।

देवों के देव माहादेव की आरती करने से आपके बिगड़े काम बन जाते हैं. सोमवार के दिन शिव आराधना करना फलदायी होता है. क्योकि सोमवार का दिन महादेव को समर्पित है. शिव जी की कृपा पाने के लिए भक्त सोमवार के दिन भी व्रत रखते हैं और शिव भक्ति में लीन रहते हैं. इस दिन पूजा के दौरान भगवान शिव शंकर की आरती करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. आप भी हर सोमवार जरुर करें शिव आरती..
भगवान शिव की आरती एक पवित्र और शक्तिशाली पूजा है, जो भक्तों के सभी कष्टों को दूर करने में मदद करती है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है, और इस दिन उनकी आराधना करना फलदायी होता है।

सोमवार के दिन शिव आराधना का महत्व
1. भगवान शिव को समर्पित: सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है।
2. फलदायी: सोमवार के दिन शिव आराधना करना फलदायी होता है।
3. व्रत और पूजा: सोमवार के दिन व्रत रखना और पूजा करना भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है।

Shiv Ji Ki Aarti:

Unlock the Power of Shiv Ji Ki Aarti and 3 benefits: ओम जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे. हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे..
ओम जय शिव ओंकारा..

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे.
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे..
ओम जय शिव ओंकारा..

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी.
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी..
ओम जय शिव ओंकारा..

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे..
ओम जय शिव ओंकारा..

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे..
ओम जय शिव ओंकारा..

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा.
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा..
ओम जय शिव ओंकारा..

पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा.
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा..
ओम जय शिव ओंकारा..

जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला.
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला..
ओम जय शिव ओंकारा..

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी.
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी..
ओम जय शिव ओंकारा..

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे.
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे..
ओम जय शिव ओंकारा.. ओम जय शिव ओंकारा.

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Kadhi Patta: 2 Essential Benefits for Health and Hair

Highlights: Kadhi Patta Hair Oil Kadhi Patta Tea

Kadhi Patta

करी पत्ता जिसे हम करी लीव्स के नाम से भी जानते हैं, एक अनोखा और स्वादिष्ट घटक है जिसका उपयोग भारतीय व्यंजनों में व्यापक रूप से किया जाता है।जिन्हें मीठा नीम भी कहा जाता है, भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में कई व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं।

Description:

यह एक छोटा पेड़ है ।

पेड़ की विशेषताएं
1. ऊंचाई: यह पेड़ 4-6 मीटर तक ऊंचा होता है।
2. तने का व्यास: इसका तना 40 सेमी तक व्यास में होता है।
3. पत्तियों की विशेषता: इसके पत्ते पिननेट होते हैं और 11-21 पत्तियों वाले होते हैं।

फूल और फल
1. फूलों की विशेषता: पौधा छोटे सफेद फूल पैदा करता है।
2. फल की विशेषता: फल छोटे चमकदार-काले ड्रूप्स होते हैं जिनमें एक बड़ा व्यवहार्य बीज होता है।
3. बेरी का गूदा: बेरी का गूदा खाने योग्य होता है और इसमें एक मीठा स्वाद होता है।

वितरण और आवास

  1. यह पेड़ भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है। व्यावसायिक बागान भारत में स्थापित किए गए हैं, और ऑस्ट्रेलिया और स्पेन के दक्षिण (कोस्टा डेल सोल) में भी। यह अच्छी तरह से सूखने वाली मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है जो सूख नहीं जाती है, पूर्ण सूर्य या आंशिक छाया वाले क्षेत्रों में, अधिमानतः हवा से दूर। विकास अधिक मजबूत होता है जब तापमान कम से कम 18 डिग्री सेल्सियस (64 डिग्री फारेनहाइट) होता है।
व्युत्पत्ति और सामान्य नाम
  1. “करी” शब्द तमिल शब्द “कारी” (कृ, शाब्दिक रूप से “काला”), पौधे का नाम है जो पेड़ की पत्तियों की कथित कालिमा से जुड़ा है। पत्तियों का उपयोग करने के रिकॉर्ड तमिल साहित्य में पाए जाते हैं जो पहली और चौथी शताब्दी ईस्वी पूर्व के हैं। ब्रिटेन में प्राचीन तमिल क्षेत्र के साथ मसाला व्यापार था। यह 16वीं शताब्दी के अंत में इंग्लैंड में पेश किया गया था।

    पाकशास्त्र में करी पत्तों में एक “मृदु, सुगंधित, थोड़ा कड़वा” स्वाद होता है।

    करी पत्ता में कई विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। कुछ प्रमुख विटामिन और मिनरल्स जो करी पत्ता में पाए जाते हैं, इस प्रकार हैं:

  •  विटामिन
    1.विटामिन : करी पत्ता में विटामिन ए होता है, जो आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
    2.विटामिन सी: करी पत्ता में विटामिन सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
    3. विटामिन ई: करी पत्ता में विटामिन ई होता है, जो स्किन और बालों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
  •  मिनरल्स
    1. आयरन: करी पत्ता में आयरन होता है, जो रक्त की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
    2. कैल्शियम: करी पत्ता में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
    3. पोटैशियम: करी पत्ता में पोटैशियम होता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • अन्य पोषक तत्व
    1. फाइबर: करी पत्ता में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
    2. एंटीऑक्सीडेंट्स: करी पत्ता में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।
इन सभी विटामिन और मिनरल्स के कारण, करी पत्ता एक स्वस्थ और फायदेमंद विकल्प है।

Kadhi Patta: 2 Essential Benefits for Health and Hair

करी पत्ता एक ऐसा पौधा है जो न केवल खाने को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि यह कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  •  बालों के लिए लाभकारी
    1. बालों के झड़ने को कम करता है: करी पत्ते का तेल या पाउडर बालों के झड़ने की समस्या को कम करता है।
    2. सफेद बालों को कम करता है: करी पत्ते का उपयोग सफेद बालों की समस्या को कम करने में मदद करता है।
    3. डैंड्रफ को कम करता है: करी पत्ते का उपयोग डैंड्रफ की समस्या को कम करने में मदद करता है।
    4. बालों में प्राकृतिक चमक लाता है: करी पत्ते का उपयोग बालों में प्राकृतिक चमक लाने में मदद करता है।
  •  स्वास्थ्य लाभ
    1. कोलेस्ट्रॉल कम करता है: करी पत्ते में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में सहायक होते हैं।
    2. संक्रमण से रक्षा करता है: करी पत्ते में जीवाणुरोधी और फंगलरोधी गुण होते हैं जो संक्रमणों से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं।
  •  सेवन के तरीके
    1. सुबह खाली पेट चबाना: सुबह खाली पेट 5-6 ताजे करी पत्ते चबाना लाभकारी माना जाता है।
    2. करी पत्ते का चूर्ण: करी पत्ते का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।
    3. पेस्ट बनाकर लगाना: करी पत्ते का पेस्ट बनाकर बालों और चेहरे पर लगाया जा सकता है।
    4. चाय या काढ़े में मिलाकर पीना: करी पत्ते को चाय या काढ़े में मिलाकर भी पीया जा सकता है।
  •  खेती और देखभाल
    1. गर्म और नम जलवायु: करी पत्ते का पौधा गर्म और नम जलवायु में अच्छे से बढ़ता है।
    2. अधिक देखभाल की ज़रूरत नहीं: करी पत्ते के पौधे को अधिक देखभाल की ज़रूरत नहीं होती।
    3. धूप में रखना और पानी देना: करी पत्ते के पौधे को धूप में रखना और नियमित रूप से पानी देना पर्याप्त होता है।
    4. बीज या कटिंग से उगाना: करी पत्ते का पौधा बीज या कटिंग से उगाया जा सकता है।
  •  सावधानियाँ
    1. डॉक्टर की सलाह लेना: करी पत्ता प्राकृतिक और आयुर्वेदिक औषधि है, लेकिन किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए इसे डॉक्टर की सलाह के बिना औषधीय रूप में अधिक मात्रा में लेना उचित नहीं है।
  •  निष्कर्ष
    करी पत्ता एक ऐसा पौधा है जो न केवल खाने को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि यह कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। इसका नियमित उपयोग न सिर्फ आपके खाने को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि आपके शरीर को भी भीतर से स्वस्थ बनाता है।

Kadhi Patta: 2 Essential Benefits for Health and Hair

Kadhi Patta (कढ़ी पत्ते) की चाय और बालों के लिए कढ़ी पत्ते का हेयर ऑयल दोनों की आसान रेसिपी

1. कढ़ी पत्ते की चाय (Kadhi Patta Tea)

सामग्री:
ताजे कढ़ी पत्ते – 10-15 पत्तियाँ
पानी – 2 कप
अदरक – 1 छोटा टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
नींबू रस – 1 चम्मच (वैकल्पिक)
शहद – स्वाद अनुसार (वैकल्पिक)
विधि:
एक पैन में पानी उबालने के लिए रखें।
उसमें अदरक और कढ़ी पत्ते डालें।
इसे धीमी आंच पर 5–7 मिनट तक उबालें, ताकि पत्तों का अर्क अच्छे से पानी में आ जाए।
गैस बंद करें और छान लें।
चाहें तो इसमें नींबू रस और शहद मिलाकर गरम-गरम पिएं।
फायदे:
सुबह खाली पेट लेने से डाइजेशन सुधरता है।
वजन घटाने में सहायक।
डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभदायक।

2. कढ़ी पत्ते का हेयर ऑयल (Kadhi Patta Hair Oil)

सामग्री:
कढ़ी पत्ते – 1 कप (धोकर सुखाए हुए)
नारियल तेल – 1 कप
मेथी दाना – 1 चम्मच
आंवला पाउडर – 1 चम्मच (वैकल्पिक)

विधि:
एक पैन में नारियल तेल गरम करें।
उसमें मेथी दाना और कढ़ी पत्ते डालें। धीमी आंच पर पकाएं जब तक पत्ते कुरकुरे हो जाएं और हल्का रंग बदल लें।
आंवला पाउडर डालें और एक मिनट और पकाएं।
गैस बंद करें और तेल को ठंडा होने दें।
ठंडा होने के बाद इसे छानकर किसी कांच की बोतल में भर लें।

उपयोग:
हफ्ते में 2 बार स्कैल्प में हल्के हाथों से मालिश करें।
रातभर रखें या 1-2 घंटे बाद धो लें।

फायदे:
बालों का झड़ना कम होता है।
समय से पहले सफेद बालों की समस्या घटती है।
बाल मजबूत और चमकदार बनते हैं।

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Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

Shiv Chalisa

शिव यानी कल्याणकारी। “शि” का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला, जबकि “व” का अर्थ है, देने वाला । शिव-स्वरूप बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है,महिमा अपरंपार है ।

Shiv Chalisa शिव चालीसा के माध्यम से अपने सारे दुखों को भूला कर शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिव-शक्ति का संयोग ही परमात्मा है। शिव की जो पराशक्ति है उससे चित्‌ शक्ति प्रकट होती है। चित्‌ शक्ति से आनंद शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, आनंद शक्ति से इच्छाशक्ति का उद्भव हुआ है। ऐसे आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का हर दिन शिव चालीसा पढ़ने का अलग ही महत्व है ।

शिव चालीसा एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा और उनके गुणों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी तरीका है।

Shiv Chalisa शिव चालीसा का महत्व

1. भगवान शिव की कृपा: शिव चालीसा पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. दुखों का नाश: शिव चालीसा पढ़ने से सारे दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
3. आध्यात्मिक विकास: शिव चालीसा पढ़ने से आध्यात्मिक विकास होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।

शिव चालीसा के लाभ

1. शिव की कृपा: शिव चालीसा पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. सुख और शांति: शिव चालीसा पढ़ने से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
3. आत्म-विकास: शिव चालीसा पढ़ने से आत्म-विकास होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।
4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: शिव चालीसा पढ़ने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

Shiv Chalisa (शिव चालीसा) कैसे पढ़ें

1. नियमित रूप से पढ़ें: शिव चालीसा को नियमित रूप से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. शुद्ध भाव से पढ़ें: शिव चालीसा को शुद्ध भाव से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. ध्यान से पढ़ें: शिव चालीसा को ध्यान से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी तरीका है।

Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ
Shiv Chalisa 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥

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Ganesh Ji Ki Aarti: जय गणेश जय गणेश 2 Most Powerful Ganesh Mantra for Peace & Prosperity

Ganesh Ji ki Aarti: भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव माने जाते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।प्रथम पूज्य भगवान गणेश की आरती, जय गणेश जय गणेश देवा का गायन करने से बुद्धि का विकास होता है और भगवान गणेश का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। गणेशजी की आरती गायन से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में मंगल ही मंगल रहता है। गणेशजी की कृपा बनी रहती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

घर पर गणेश आरती कैसे करें?

  • आरती आरंभ करने से पूर्व तीन बार शंख का उद्घोष करें. शंख बजाते समय मुख को ऊपर की ओर रखें. शंख को धीरे से प्रारंभ करते हुए, धीरे-धीरे उसकी आवाज को बढ़ाएं.
  • आरती के दौरान ताली बजाना न भूलें. घंटी को एक समान लय में बजाएं और आरती को भी सुर और लय के अनुसार गाएं. इसके साथ ही झांझ, मझीरा, तबला, हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग करें.
  • आरती गाते समय उच्चारण को शुद्ध रखें.
  • आरती के लिए शुद्ध कपास से निर्मित घी की बत्ती का उपयोग करें. तेल की बत्ती से बचना चाहिए. कपूर का भी आरती में प्रयोग किया जाता है. बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्कीस हो सकती है.
  • आरती को घड़ी की सुइयों की दिशा में लयबद्ध तरीके से करना चाहिए।

शाम को आरती कितने बजे करनी चाहिए?

  • शाम की आरती सामान्यतः शाम 5 बजे से 7 बजे के बीच आयोजित की जाती है. हालांकि, यह समय के अनुसार परिवर्तित हो सकता है।

 

Ganesh Ji Ki Aarti: जय गणेश जय गणेश और जय देव जय देव | 2 Most Powerful Ganesh Mantra for Peace & Prosperity
Ganesh Ji Ki Aarti: जय गणेश जय गणेश और जय देव जय देव | 2 Most Powerful Ganesh Mantra for Peace & Prosperity

Ganesh Ji ki Aarti 

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। .

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा …
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा …
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

 

Ganesh Ji ki Aarti: जय देव जय देव

 

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची

नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची

कंठी झलके माल मुक्ता फलांची।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा

रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना

सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुर वर वंदना।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव ।।

आरती के बाद इस मंत्र का जप करने से आरती संपूर्ण मानी जाती है : –

वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥1॥
गजाननं भूत गणादि सेवितं,
कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्,
नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥

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