Shree Premanand Maharaj का जीवन, उनकी शिक्षाएं, भक्ति मार्ग और राधा रानी के प्रति उनका समर्पण। सम्पूर्ण जीवनी हिंदी में।
भारतवर्ष की भूमि संतों और महापुरुषों की जन्मभूमि रही है। इन्हीं दिव्य आत्माओं में से एक हैं श्री प्रेमानंद जी महाराज, जिनकी वाणी, जीवन और भक्ति ने लाखों श्रद्धालुओं के जीवन को नई दिशा दी है। ब्रजभूमि (वृंदावन) में श्री राधा-कृष्ण की अखंड सेवा करने वाले प्रेमानंद जी महाराज आज भक्ति मार्ग के एक प्रेरणास्रोत बन चुके हैं।
Shree Premanand Maharaj जन्म और प्रारंभिक जीवन
Shree Premanand Maharaj का जन्म एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था।हमारे सबसे प्रिय सन्यासी राधावल्लभी संत, अनिरुद्ध कुमार पांडे (प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम), महाराज जी का जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका पूरा परिवार भगवान के प्रति समर्पित रहा है। प्रेमानंद महाराज जी का जन्म स्थान सरसौल ब्लॉक, आखिरी गांव, कानपुर, उत्तर प्रदेश में सन 1972 में हुआ। इनका बचपन ही अध्यात्म की ओर उन्मुख था। वे हमेशा साधुओं और संतों की संगति की खोज में रहते थे। माता-पिता ने उन्हें गृहस्थ जीवन के लिए तैयार करना चाहा, लेकिन उनका मन श्री राधा-कृष्ण की भक्ति में रम गया।प्रेमानंद महाराज जी के पिता श्री शंभू पांडे ने भी बाद के वर्षों में संन्यास स्वीकार कर लिया था। उनकी पूजनीय माता श्री रमा देवी दुबे भी बहुत धार्मिक थी। वह सभी संतों का बहुत सम्मान किया करती थी। उनके माता-पिता दोनों ही नियमित रूप से मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में संत सेवा किया करते थे। बाबाजी के एक बड़े भाई भी हैं। घर में पवित्र माहौल ने प्रेमानंद जी के मन में आध्यात्मिक ज्योति को और बढ़ा दिया। प्रेमानंद जी महाराज ने बहुत ही कम आयु में पूजा पाठ करना शुरू कर दिया था। बचपन में पांचवी क्लास में ही उन्होंने भगवद गीता पढ़ना शुरू कर दिया था। छोटी सी उम्र में ही महाराज जी जीवन के हर पहलुओं के बारे में सोचना शुरु कर दिया था। ऐसा कहा जाता है कि एक बार महाराज जी के मन में सवाल आया कि क्या माता पिता का प्यार हमेशा बना रहता है? वह लगातार आध्यात्मिकता की तलाश कर रहे थे।
वृंदावन की ओर प्रस्थान
Shree Premanand Maharaj महाराज ने 9th कक्षा में ही आध्यात्मिक जीवन जीने और ईश्वर तक पहुंचने वाले मार्ग की खोज करने का फैसला किया। वे इस नेक काम के लिए अपने परिवार से अलग होने के लिए तैयार थे। जिस वक्त महाराज जी ने यह फैसला किया उनकी उम्र सिर्फ 13 वर्ष थी। वह बिना किसी को बताए सुबह तीन बजे अपने घर से निकल गए थे। युवावस्था में ही घर त्यागने के बाद उन्होंने नैष्ठिक ब्रह्मचारी की दीक्षा ग्रहण कर ली थी। संत के रूप में उनका नया नाम श्री आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी था, और इसके बाद उन्होंने जीवनभर के लिए संन्यास ले लिया था।बहुत ही कम उम्र में उन्होंने संसार का त्याग कर दिया और वृंदावन धाम की ओर प्रस्थान किया। वृंदावन में उन्होंने श्री राधा रानी की सेवा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। वे कहते हैं – “जो राधा रानी को पा गया, उसे कुछ और पाने की आवश्यकता नहीं।”
वाणी और प्रवचन की विशेषता
Shree Premanand Maharaj की वाणी अत्यंत मधुर, सरल और हृदयस्पर्शी होती है। उनके प्रवचन केवल ज्ञान नहीं देते, बल्कि आत्मा को झकझोरते हैं। वे श्रीमद्भागवत, रामायण, गीता जैसे ग्रंथों की व्याख्या अत्यंत सरल भाषा में करते हैं।
प्रमुख शिक्षाएँ
– राधा नाम का जाप करें: राधा नाम में ही संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति समाहित है।
– सेवा और प्रेम से भक्ति करें: केवल मंत्र जपने से नहीं, प्रेम भाव और सेवा से ही भगवान प्रसन्न होते हैं।
– सत्संग करें: संतों की संगति में जीवन का सही मार्ग मिलता है।
– दया और क्षमा: दूसरों के प्रति करुणा और क्षमा का भाव रखना चाहिए।
– वृंदावन को अपने हृदय में बसाएं: जहां प्रेम है, वहां वृंदावन है।
सेवा कार्य और आश्रम
Shree Premanand Maharaj वृंदावन में श्री वृंदावन धाम सेवा आश्रम का संचालन करते हैं। यह आश्रम न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि गरीबों और संतों की सेवा का प्रमुख स्थान भी है।
लोकप्रियता और सोशल मीडिया प्रभाव
उनके प्रवचनों को यूट्यूब, फेसबुक आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर करोड़ों लोग देखते हैं। उनके वीडियो युवाओं में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं, क्योंकि वे आत्मा और मन को स्पर्श करते हैं।
निष्कर्ष
Shree Premanand Maharaj केवल एक संत नहीं, बल्कि वे एक जीवित प्रेरणा हैं। उनका जीवन हमें बताता है कि इस कलियुग में भी ईश्वर को पाना संभव है – यदि हमारे पास प्रेम हो, समर्पण हो और राधा रानी का नाम हो।
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डिसक्लेमर – उपरोक्त लेख में दी गई जानकारियाँ विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों, धार्मिक ग्रंथों, मान्यताओं, पंचांग एवं जनश्रुतियों से संकलित की गई हैं। यह केवल शैक्षिक एवं सांस्कृतिक जानकारी देने के उद्देश्य से साझा की गई हैं। इसकी प्रमाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि की हम कोई गारंटी नहीं देते। कृपया किसी भी प्रकार के आध्यात्मिक, सामाजिक या व्यक्तिगत निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।