Maa Durga Aarti: Lyrics: 30 मार्च से चैत्र नवरात्र का आरंभ होने वाला है. नवरात्र 30 मार्च से 6 अप्रैल तक मनाए जाएंगे. इस वर्ष माता रानी के नवरात्र रविवार से प्रारंभ हो रहे हैं, इसलिए माता हाथी पर सवार होकर आएंगी. शास्त्रों में देवी की हाथी की पालकी को अत्यंत शुभ माना गया है.आपको बता दें नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है . नवरात्रि में प्रतिदिन पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती अनिवार्य मानी जाती है. यही नहीं, आम दिनों में भी पूजा के दौरान इस आरती की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में मां दुर्गा की आरती 🙏🏻🙏🏻
Maa Durga Aarti का महत्व
Maa Durga Aarti नवरात्रि के उत्सव का एक अभिन्न अंग है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। यहाँ कुछ कारण हैं जिनकी वजह से माँ दुर्गा आरती आवश्यक है:
- आध्यात्मिक महत्व
1. दिव्य ऊर्जा का आह्वान: आरती माँ दुर्गा की दिव्य ऊर्जा को आह्वान करने का एक तरीका है, उनके आशीर्वाद और सुरक्षा की मांग करते हैं।
2. पवित्रीकरण और शुद्धिकरण: आरती अनुष्ठान को मन, शरीर और आत्मा को पवित्र और शुद्ध करने वाला माना जाता है। - सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व
1. विरासत को आगे बढ़ाना: माँ दुर्गा आरती एक परंपरा है जो पीढ़ियों से चली आ रही है, जो भक्तों को उनकी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ती है।
2. समुदाय का बंधन: आरती अक्सर सामूहिक रूप से की जाती है, जो भक्तों के बीच एकता और समुदाय की भावना को बढ़ावा देती है। - व्यक्तिगत लाभ
1. मानसिक शांति और शांति: माँ दुर्गा आरती में भाग लेने से मानसिक शांति, शांति और एकता की भावना मिलती है।
2. मार्गदर्शन और सुरक्षा की मांग: भक्त माँ दुर्गा से आरती अनुष्ठान के माध्यम से मार्गदर्शन और सुरक्षा की मांग करते हैं, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में उनकी मदद करते हैं। - अनुष्ठानिक महत्व
1. पूजा की समाप्ति: आरती नवरात्रि पूजा का एक आवश्यक हिस्सा है, जो पूजा अनुष्ठान की समाप्ति को चिह्नित करती है।
2. कृतज्ञता व्यक्त करना: माँ दुर्गा आरती भक्तों के लिए देवी के आशीर्वाद और सुरक्षा के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है।
Maa Durga Aarti Hindi Lyrics Here–
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
Durga Aarti/ Ambe Tu Hai Jagdambe Kali:
अंबे जी की आरती
/
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
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