Laxmi Ji की पौराणिक उत्पत्ति, 8 चमत्कारी नाम, पूजन विधि और मान्यताओं की सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में पढ़ें और धन-लक्ष्मी प्राप्त करें।
🌸 परिचय: Laxmi Ji कौन हैं?
धन, वैभव, सुख और शांति प्राप्त करने के लिए लोग Laxmi Jiएवं गणेशजी की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि जिस किसी व्यक्ति के ऊपर Laxmi Ji की कृपा होती है तो उसके जीवन में धन-समृद्धि संपदा और वैभव की कभी कमी नहीं होती।
Laxmi Ji को हिन्दू धर्म में धन, समृद्धि, वैभव और सौभाग्य की देवी माना जाता है। वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं और उन्हें सृष्टि की पालनकर्ता शक्ति भी कहा जाता है। “लक्ष्मी” शब्द संस्कृत के “लक्ष” शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है “लक्ष्य” या “उद्देश्य”।
🌊 उत्पत्ति की कथा (समुद्र मंथन से जन्म)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, Laxmi Ji का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। जब देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया, तब अनेक रत्न निकले, और उसी समय Laxmi Ji जी कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुईं। उन्होंने भगवान विष्णु को वरमाला पहनाई और उनके साथ विवाह किया।
🕉 Laxmi Ji के 8 स्वरूप (अष्टलक्ष्मी)
Laxmi Ji के आठ प्रमुख स्वरूप हैं, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा जाता है:
1 -आदि लक्ष्मी – आदि शक्ति
2-धन लक्ष्मी – धन की देवी
3-धान्य लक्ष्मी – अन्न और कृषि की देवी
4-गज लक्ष्मी – शक्ति और ऐश्वर्य की देवी
5-संतान लक्ष्मी – संतान की प्राप्ति की देवी
6-वीर लक्ष्मी – शक्ति और साहस की देवी
7-विद्या लक्ष्मी – ज्ञान की देवी
8-विजय लक्ष्मी – सफलता की देवी
🛕 पूजा विधि और महत्व
Laxmi Ji की पूजा विशेष रूप से दीपावली के दिन की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करके दीप जलाते हैं ताकि Laxmi Ji का वास हो।
पूजन सामग्री: कमल का फूल, घी का दीपक, चांदी या मिट्टी की लक्ष्मी प्रतिमा, मिठाई, अक्षत, कुमकुम, हल्दी आदि।
मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।”
🌟 Laxmi Ji से जुड़े चमत्कार और मान्यताएँ
कहा जाता है कि जहां साफ-सफाई, ईमानदारी, और सत्कर्म होते हैं, वहां Laxmi Ji स्थायी रूप से वास करती हैं।
Laxmi Ji का वास दक्षिण दिशा में माना जाता है, इसलिए पूजा में उस दिशा की ओर मुख करके दीप जलाना शुभ होता है।
दीपावली की रात को जो व्यक्ति Laxmi Ji पूजन करके जागरण करता है, उसके घर में साल भर धधन की कमी नहीं होती।
📜 Laxmi Ji की कथाएँ (Short Story)
एक बार एक गरीब ब्राह्मण लक्ष्मी जी से प्रार्थना करता है – “माँ, मुझे भी धन दो!” माता प्रकट होकर कहती हैं – “तू संतोषी है, इसी से तू अमीर है।”
लेकिन जब ब्राह्मण लोभ करता है, तो लक्ष्मी जी उसे धन देकर फिर परीक्षा लेती हैं। वह असंतोष में पड़ जाता है और सब खो देता है।
सीख: सच्ची लक्ष्मी संतोष और धर्म में है, केवल धन में नहीं।
📿 Laxmi Ji की कृपा कैसे पाएं?
हर शुक्रवार को माता की पूजा करें।
रोज सुबह घर की सफाई करें और दीपक जलाएं।
“श्री सूक्त” या “लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र” का पाठ करें।
दान-दक्षिणा और जरूरतमंद की सेवा करें।
कैसे उल्लू बना Laxmi Ji की सवारी
कथा के अनुसार प्रकृति और पशु-पक्षियों के निर्माण के बाद जब सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे, तब माता लक्ष्मी भी अपना वाहन चुनने के लिए धरती पर आई। तभी सभी पशु पक्षियों ने मां लक्ष्मी के सामने प्रस्तुत होकर खुद को अपना वाहन चुनने का आग्रह किया। तब लक्ष्मी जी ने सभी पशु पक्षियों से कहा कि मैं कार्तिक मास की अमावस्या को धरती पर विचरण करती हूं, उस समय जो भी पशु-पक्षी उन तक सबसे पहले पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी। अमावस्या की रात अत्यंत काली होती है इसलिए इस रात को सभी पशु पक्षियों को दिखाई कम का पड़ता है। कार्तिक मास के अमावस्या की रात को जब मां लक्ष्मी धरती पर आई तब उल्लू ने सबसे पहले मां लक्ष्मी को देख लिया और वह सभी पशु पक्षियों से पहले माता लक्ष्मी के पास पहुंच गया क्योंकि उल्लू को रात में भी दिखाई देता है। उल्लू के इन गुणों से प्रसन्न हो कर माता लक्ष्मी ने उसे अपनी सवारी के रूप में चुन लिया। तब से माता लक्ष्मी को उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।
उल्लू का पौराणिक महत्व
उल्लू को भारतीय संस्कृति में शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, उल्लू सबसे बुद्धिमान निशाचारी प्राणी होता है। उल्लू को भूत और भविष्य का ज्ञान पहले से ही हो जाता है।
उल्लू से जुड़ी मान्यताएं
– यदि उल्लू सिर के ऊपर उड़ रहा हो या आवाज देकर पीछा कर रहा हो तो यात्रा शुभ होती है।
– पूर्व दिशा में बैठे उल्लू की आवाज सुनने या दर्शन को प्रचण्ड आर्थिक लाभ का सूचक माना गया है।
– दक्षिण दिशा में विराजे उल्लू की आवाज शत्रुओं पर विजय सुनिश्चित करती है। सुबह उल्लू की आवाज सुनना सौभाग्य कारक और लाभदायक माना गया है।
– धार्मिक मान्यता है कि यदि गर्भवती स्त्री उल्लू को स्पर्श कर लें तो उसकी होने वाली संतान श्रेष्ठ होती है।
– उल्लू से यदि किसी गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति का अकस्मात स्पर्श कर ले तो उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है।
✅ निष्कर्ष (Conclusion)
माता लक्ष्मी न केवल भौतिक धन, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक समृद्धि की भी प्रतीक हैं। यदि हम अपने जीवन में कर्म, धर्म और सफाई का पालन करें, तो माता लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।
Laxmi Ji (लक्ष्मी जी) की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निषदिन सेवत, तुमको निषदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता, ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निषदिन सेवत, तुमको निषदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता, ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा रमा ब्राह्मणी, तुम ही जग माता
(मैया तुम ही जग माता)
सूर्या चंद्रमा ध्यावत, सूर्या चंद्रमा ध्यावत
नारद ऋशी गाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपति दाता
(मैया सुख संपति दाता)
जो कोई तुम को ध्यावत, जो कोई तुम को ध्यावत
रिद्धि, सिद्धि धन पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
(मैया तुम ही शुभ दाता)
करम प्रभाव प्रकाशीनी, करम प्रभाव प्रकाशीनी
भव निधि की त्राता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
जिस घर में तुम रहती, सब सदगुण आता
(मैया सब सदगुण आता)
सब संभव हो जाता, सब संभव हो जाता
मन नही घबराता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
तुम बिन यज्ञ ना होते, वस्त्र ना कोई पाता
(मैया वस्त्र ना कोई पाता)
ख़ान-पान का वैभव, ख़ान-पान का वैभव
सब तुमसे आता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
शुभगुन मंदिर सुंदर, शिरो दधि जाता
(मैया शिरो दधि जाता)
रत्नचतुर्धश् तुम बिन, रत्न चतुर्धश् तुम बिन
कोई नही पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर जन
(मैया जो कोई जन गाता)
उर आनंद समाता, उर आनंद समाता
पाप उतर जाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निषदिन सेवत, तुमको निषदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता, ॐ जय लक्ष्मी माता
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