Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

Shiv Chalisa

शिव यानी कल्याणकारी। “शि” का अर्थ है, पापों का नाश करने वाला, जबकि “व” का अर्थ है, देने वाला । शिव-स्वरूप बताता है कि उनका रूप विराट और अनंत है,महिमा अपरंपार है ।

Shiv Chalisa शिव चालीसा के माध्यम से अपने सारे दुखों को भूला कर शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिव-शक्ति का संयोग ही परमात्मा है। शिव की जो पराशक्ति है उससे चित्‌ शक्ति प्रकट होती है। चित्‌ शक्ति से आनंद शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, आनंद शक्ति से इच्छाशक्ति का उद्भव हुआ है। ऐसे आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का हर दिन शिव चालीसा पढ़ने का अलग ही महत्व है ।

शिव चालीसा एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान शिव की महिमा और उनके गुणों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी तरीका है।

Shiv Chalisa शिव चालीसा का महत्व

1. भगवान शिव की कृपा: शिव चालीसा पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. दुखों का नाश: शिव चालीसा पढ़ने से सारे दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
3. आध्यात्मिक विकास: शिव चालीसा पढ़ने से आध्यात्मिक विकास होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।

शिव चालीसा के लाभ

1. शिव की कृपा: शिव चालीसा पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. सुख और शांति: शिव चालीसा पढ़ने से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
3. आत्म-विकास: शिव चालीसा पढ़ने से आत्म-विकास होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।
4. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: शिव चालीसा पढ़ने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

Shiv Chalisa (शिव चालीसा) कैसे पढ़ें

1. नियमित रूप से पढ़ें: शिव चालीसा को नियमित रूप से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. शुद्ध भाव से पढ़ें: शिव चालीसा को शुद्ध भाव से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. ध्यान से पढ़ें: शिव चालीसा को ध्यान से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

यह स्तोत्र भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी तरीका है।

Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ
Shiv Chalisa 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

Shiv Chalisa Powerful 40 Couplets: शिव चालीसा 40 चौपाइयाँ

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥

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Durga Chalisa: श्री दुर्गा चालीसा: The Ultimate Divine Protector 30 days Stotra

Durga Chalisa: श्री दुर्गा चालीसा

Durga Chalisa मां दुर्गा के भक्तों के लिए प्रस्तुत हैं पावन श्री दुर्गा चालीसा। जिसके नित्य पाठ से माता दुर्गा आपके सारे दुखों को हरण करके अपनी असीम कृपा आप पर बरसाएंगी…।
सुख शांति व समृद्धि के उद्देश्य तथा समाज में फैल रही सामाजिक बुराइयों को नष्ट करने में फलदायी है दुर्गा चालीसा।

आध्यात्मिक महत्व

1. देवी दुर्गा की कृपा: Durga Chalisa का पाठ करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, जो हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाती है।
2. आध्यात्मिक शक्ति: Durga Chalisa में वर्णित मंत्र और श्लोक हमारे आध्यात्मिक जीवन को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
3. भक्ति और श्रद्धा: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे अंदर देवी दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा बढ़ती है।

मानसिक और भावनात्मक महत्व

1. मानसिक शांति: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे मन को शांति और स्थिरता मिलती है।
2. भावनात्मक संतुलन: Durga Chalisa में वर्णित मंत्र और श्लोक हमारे भावनात्मक जीवन को संतुलित बनाने में मदद करते हैं।
3. आत्मविश्वास: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे अंदर आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है।

 व्यावहारिक महत्व

1. रक्षा और सुरक्षा: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे जीवन में रक्षा और सुरक्षा की भावना बढ़ती है।
2. स्वास्थ्य और समृद्धि: Durga Chalisa में वर्णित मंत्र और श्लोक हमारे स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
3. सुख और शांति: Durga Chalisa का पाठ करने से हमारे जीवन में सुख और शांति की भावना बढ़ती है।


Durga Chalisa के पाठ को शुरू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:

  • पाठ के लिए तैयारी
    1. शुद्धता और पवित्रता: पाठ करने से पहले अपने शरीर और मन को शुद्ध और पवित्र करें। इसके लिए आप स्नान करें, पवित्र वस्त्र पहनें और अपने मन को शांत करें।
    2. एकांत और शांति: एकांत और शांति से भरे स्थान पर पाठ करें। इससे आपको अपना ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
    3. मां दुर्गा की पूजा: पाठ करने से पहले मां दुर्गा की पूजा करें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए फूल, फल और अन्य चीजें चढ़ाएं।

  •  पाठ के दौरान
    1. ध्यान और एकाग्रता: पाठ करते समय अपना ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें। अपने मन को शांत रखें और पाठ पर अपना ध्यान केंद्रित करें।
    2. भावना और श्रद्धा: पाठ करते समय अपने मन में भावना और श्रद्धा रखें। मां दुर्गा के प्रति अपनी भावना और श्रद्धा को व्यक्त करें।
    3. स्पष्ट और धीमी गति से पाठ करें: पाठ करते समय अपनी आवाज को स्पष्ट और धीमी गति से रखें। इससे आपको अपना ध्यान और एकाग्रता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

  •  पाठ के बाद
    1. मां दुर्गा को धन्यवाद दें: पाठ करने के बाद मां दुर्गा को धन्यवाद दें और उन्हें प्रसन्न करने के लिए फूल, फल और अन्य चीजें चढ़ाएं।
    2. अपने जीवन में सुधार करें: पाठ करने के बाद अपने जीवन में सुधार करें और मां दुर्गा की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें। अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रयास करें।

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Durga Chalisa: श्री दुर्गा चालीसा

 

Durga Chalisa: श्री दुर्गा चालीसा: The Ultimate Divine Protector 30 days Stotra

नमो-नमो दुर्गे सुख करनी I

नमो-नमो अम्बे दुःख हरनी II

निरंकार है ज्योति तुम्हारी I

तिहुँ लोक फैली उजियारी II

शशि ललाट मुख महाविशाला I

नेत्र लाल भृकुटि विकराला II

रूप मातु को अधिक सुहावे I

दरश करत जन अति सुख पावे II

तुम संसार शक्ति लै कीना I

पालन हेतु अन्न धन दीना II

अन्नपूर्णा हुई जग पाला I

तुम ही आदि सुन्दरी बाला II

प्रलयकाल सब नाशन हारी I

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी II

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें I

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें II

रूप सरस्वती को तुम धारा I

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा II

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा I

परगट भई फाड़कर खम्बा II

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो I

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो II

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं I

श्री नारायण अंग समाहीं II

क्षीरसिन्धु में करत विलासा I

दयासिन्धु दीजै मन आसा II

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी I

महिमा अमित न जात बखानी II

मातंगी धूमावति माता I

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता II

श्री भैरव तारा जग तारिणी I

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी II

केहरि वाहन सोह भवानी I

लांगुर वीर चलत अगवानी II

कर में खप्पर खड्ग विराजै I

जाको देख काल डर भाजै II

सोहै कर में अस्त्र त्रिशूला I

जाते उठत शत्रु हिय शूला II

नगरकोट में तुम्हीं विराजत I

तिहुंलोक में डंका बाजत II

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे I

रक्तबीज शंखन संहारे II

महिषासुर नृप अति अभिमानी I

जेहि अघ भार मही अकुलानी II

रूप कराल कालिका धारा I

सेन सहित तुम तिहि संहारा II

परी भीड़ संतन पर जब-जब I

भई सहाय मातु तुम तब-तब II

अमरपुरी अरु बासव लोका I

तब महिमा सब कहें अशोका II

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी I

तुम्हें सदा पूजें नर-नारी II

प्रेम भक्ति से जो यश गावें I

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें II

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई I

जन्म-मरण ते सो छुटि जाई II

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी I

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी II

शंकर आचारज तप कीनो I

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो II

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को I

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको II

शक्ति रूप का मरम न पायो I

शक्ति गई तब मन पछतायो II

शरणागत हुई कीर्ति बखानी I

जय-जय-जय जगदम्ब भवानी II

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा I

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा II

मोको मातु कष्ट अति घेरो I

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो II

आशा तृष्णा निपट सतावें I

रिपू मुरख मौही अति डरपावे II

शत्रु नाश कीजै महारानी I

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी II

करो कृपा हे मातु दयाला I

ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला II

जब लगि जिऊं दया फल पाऊँ I

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ II

दुर्गा चालीसा जो गावै I

सब सुख भोग परमपद पावै II

देवीदास शरण निज जानी I

करहु कृपा जगदम्ब भवानी II

 


 

श्री दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa PDF : पाठ विधि सहित : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive

Hanuman Chalisa: Famous stotra of unique 40 verses composed by Shri Goswami Tulsidas.

Hanuman Chalisa: बजरंगबली की कृपा पाने का सरल मार्ग

Hanuman Chalisa भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्तोत्र है। यह चालीसा श्री गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी तरीका माना जाता है।

Hanuman Chalisa में 40 छंद हैं जो हनुमान जी के विभिन्न गुणों, शक्तियों और कार्यों का वर्णन करते हैं। इसमें हनुमान जी को बजरंगबली, पवनपुत्र, अंजनीपुत्र, रामभक्त जैसे नामों से पुकारा गया है।

Hanuman Chalisa का पाठ करने से मन शांत होता है, भय दूर होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और सफलता प्राप्त होती है।

हनुमान जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। यह चालीसा विघ्नों को दूर करने और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।

Hanuman Chalisa का पाठ सुबह-शाम या किसी भी समय किया जा सकता है।

Hanuman Chalisa के कुछ प्रमुख लाभ हैं:

  • मन की शांति: हनुमान चालीसा का पाठ मन को शांत करता है और तनाव को दूर करता है।
  • भय का निवारण: हनुमान जी को भय का नाशक माना जाता है। यह चालीसा भय और आशंकाओं को दूर करने में सहायक है।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: हनुमान जी की शक्ति और साहस का वर्णन इस चालीसा में किया गया है, जो आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है।
  • सफलता की प्राप्ति: हनुमान जी को सफलता के देवता माना जाता है। यह चालीसा जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक है।
  • विघ्नों का निवारण: हनुमान जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। यह चालीसा विघ्नों को दूर करने और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

Hanuman Chalisa का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह चालीसा सभी धर्मों के लोगों के लिए उपयोगी है।

Hanuman Chalisa का पाठ सरल है और इसे कोई भी आसानी से कर सकता है।

हनुमान चालीसा बजरंगबली की कृपा पाने का एक सरल मार्ग है।

|| श्री हनुमान चालीसा ||

Hanuman Chalisa

|| दोहा ||

श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउं रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ 
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महावीर विक्रम बजरंगी।  कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुवेसा।कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरीनन्दन। तेज प्रताप महा जग वन्दन॥

विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा॥
भीम रुप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे॥

Hanuman Chalisa

लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं। अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिकपाल जहां ते। कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

Hanuman Chalisa

 

 

तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना।लंकेश्वर भये सब जग जाना॥
जुग सहस्र योजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै।मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फ़ल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।असुर निकन्दन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाई।कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥
जो शत बार पाठ कर कोई।छूटहिं बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा॥

॥ दोहा ॥

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुर भूप॥

Hanuman Chalisa

for Reference

        https://sarvasanatan.com/category/home/https://hindi.webdunia.com/aarti-chalisa/hanuman-chalisa-hindi-117011600061_1.html

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