Popular bhagwat geeta shlok in hindi : भगवत गीता के 12 लोकप्रिय श्लोक भावार्थ के साथ

Bhagwat Geeta Shlok in Hindi

महाभारत के युद्ध के दौरान, अर्जुन युद्ध करने से हिचकिचा रहे थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें Geeta Shlok के माध्यम से समझाया। Geeta Shlok दुनिया के बड़े विद्वानों द्वारा पढ़े और माने जाते हैं। इन श्लोकों में ऐसी शक्ति है जो हमारी सभी परेशानियों को दूर कर सकती है।

भगवद् गीता: जीवन का मार्गदर्शन – Geeta Shlok का ज्ञान

भगवद् गीता, हिन्दू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ, महाभारत के युद्ध के बीच अर्जुन और श्री कृष्ण के बीच संवाद का संग्रह है। यह महज एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन के सच्चे अर्थ, कर्म, ज्ञान, भक्ति और मोक्ष के बारे में गहन दर्शन का स्रोत है।

गीता का मुख्य संदेश है कर्म योग, अर्थात कर्म करते हुए मोह और आसक्ति से मुक्त रहना। यह हमें सिखाती है कि हर कार्य को ईश्वर की सेवा के रूप में करना चाहिए, बिना किसी फल की इच्छा के।

गीता में ज्ञान योग भी महत्वपूर्ण है, जो हमें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। यह ज्ञान हमें अज्ञानता और मोह से मुक्त कर, सच्चे स्वरूप को पहचानने में मदद करता है।

भक्ति योग के माध्यम से, गीता हमें ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति के महत्व को समझाती है। भक्ति हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती है और ईश्वर के साथ एक अटूट संबंध स्थापित करती है।

गीता के तीन भाग हैं: ज्ञान कंद, कर्म कंद और भक्ति कंद. प्रत्येक भाग जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर प्रकाश डालता है।

ज्ञान कंद में ज्ञान योग का वर्णन है, जो हमें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।

कर्म कंद में कर्म योग का वर्णन है, जो हमें कर्म करते हुए मोह और आसक्ति से मुक्त रहना सिखाता है।

भक्ति कंद में भक्ति योग का वर्णन है, जो हमें ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति के महत्व को समझाता है।

Geeta Shlok आज भी प्रासंगिक हैं। वे हमें जीवन के हर मोड़ पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, चाहे वह व्यक्तिगत चुनौतियाँ हों, पारिवारिक कलह हो या समाज में व्याप्त अन्याय।

गीता हमें सिखाती है कि:

  • सब कुछ ईश्वर की इच्छा से होता है: हमारे जीवन में होने वाली हर घटना ईश्वर की इच्छा से होती है। हमें इसे स्वीकार करना चाहिए और ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए।
  • कर्म का फल हमेशा मिलता है: हमारे द्वारा किए गए हर कर्म का फल हमें अवश्य मिलेगा। इसलिए हमें अच्छे कर्म करने चाहिए।
  • मोह और आसक्ति से मुक्त रहना: मोह और आसक्ति हमें दुख और कष्ट देते हैं। हमें इनसे मुक्त रहने का प्रयास करना चाहिए।
  • सच्चे ज्ञान की प्राप्ति: सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हमें जीवन के सच्चे अर्थ को समझने में मदद करती है।
  • ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम: ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम हमें जीवन की हर चुनौती का सामना करने की शक्ति देता है।

Geeta Shlok का अध्ययन हमें जीवन के सच्चे अर्थ को समझने, कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग के महत्व को जानने और ईश्वर के साथ एक अटूट संबंध स्थापित करने में मदद करता है।

यह ग्रंथ हमें जीवन की हर चुनौती का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है और हमें एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है। Home Archives – Sarva Sanatan


Geeta Shlok

जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्वतः |
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोर्जुन ||


janm karm ch me divyamevan yo vetti tatvatah
tyaktva dehan punarjanm naiti maameti sorjun


Geeta Shlok अर्थ –

कृष्ण जी अर्जुन से कहते हैं,  जो मेरे दिव्य स्वरूप और क्रियाकलापों को समझ लेता है, वह इस भौतिक शरीर को त्यागने के बाद कभी पुनः जन्म नहीं लेता। हे अर्जुन, वह मेरे पास आ जाता है।

 Meaning

Krishna says to Arjun, one who understands My divine appearance and activities
never takes birth again after giving up this material body.
He comes to Me.


परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम |
धर्म-संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ||


paritraanaay saadhoonaan vinaashaay ch dushkrtaam |
dharm-sansthaapanaarthaay sambhavaami yuge yuge ||


Geeta Shlok अर्थ –

धर्मात्मा जीवों की रक्षा करने तथा अधर्म का नाश करने के लिए मैं प्रत्येक युग में धर्म की स्थापना करने हेतु अवतरित होता हूँ।

Meaning

“To protect the pious living beings and to put an end to
malevolence, I appear in every age to establish dharma”!!

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सजम्यहम् ||


yada yada hi dharmasy glaanirbhati bhaarat |
abhyutthaanamadharmasy tadaatmaanan sajamyaham ||


Geeta Shlok अर्थ –

जब धर्म का पतन होता है और अधर्म का उत्थान होता है, तब तब मैं स्वयं प्रकट होता हूं।

Meaning

“O descendant of Bharata, whenever there is a decline in
dharma and a rise of adharma, I personally appear”!!

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Hanuman Chalisa: Famous stotra of unique 40 verses composed by Shri Goswami Tulsidas.

Hanuman Chalisa: बजरंगबली की कृपा पाने का सरल मार्ग

Hanuman Chalisa भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्तोत्र है। यह चालीसा श्री गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है और हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी तरीका माना जाता है।

Hanuman Chalisa में 40 छंद हैं जो हनुमान जी के विभिन्न गुणों, शक्तियों और कार्यों का वर्णन करते हैं। इसमें हनुमान जी को बजरंगबली, पवनपुत्र, अंजनीपुत्र, रामभक्त जैसे नामों से पुकारा गया है।

Hanuman Chalisa का पाठ करने से मन शांत होता है, भय दूर होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और सफलता प्राप्त होती है।

हनुमान जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। यह चालीसा विघ्नों को दूर करने और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।

Hanuman Chalisa का पाठ सुबह-शाम या किसी भी समय किया जा सकता है।

Hanuman Chalisa के कुछ प्रमुख लाभ हैं:

  • मन की शांति: हनुमान चालीसा का पाठ मन को शांत करता है और तनाव को दूर करता है।
  • भय का निवारण: हनुमान जी को भय का नाशक माना जाता है। यह चालीसा भय और आशंकाओं को दूर करने में सहायक है।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: हनुमान जी की शक्ति और साहस का वर्णन इस चालीसा में किया गया है, जो आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है।
  • सफलता की प्राप्ति: हनुमान जी को सफलता के देवता माना जाता है। यह चालीसा जीवन में सफलता प्राप्त करने में सहायक है।
  • विघ्नों का निवारण: हनुमान जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। यह चालीसा विघ्नों को दूर करने और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

Hanuman Chalisa का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह चालीसा सभी धर्मों के लोगों के लिए उपयोगी है।

Hanuman Chalisa का पाठ सरल है और इसे कोई भी आसानी से कर सकता है।

हनुमान चालीसा बजरंगबली की कृपा पाने का एक सरल मार्ग है।

|| श्री हनुमान चालीसा ||

Hanuman Chalisa

|| दोहा ||

श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउं रघुबर विमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ 
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महावीर विक्रम बजरंगी।  कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुवेसा।कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरीनन्दन। तेज प्रताप महा जग वन्दन॥

विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा॥
भीम रुप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे॥

Hanuman Chalisa

लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो यश गावैं। अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिकपाल जहां ते। कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

Hanuman Chalisa

 

 

तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना।लंकेश्वर भये सब जग जाना॥
जुग सहस्र योजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट ते हनुमान छुड़ावै।मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फ़ल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु सन्त के तुम रखवारे।असुर निकन्दन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाई।कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥
जो शत बार पाठ कर कोई।छूटहिं बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा॥

॥ दोहा ॥

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, ह्रदय बसहु सुर भूप॥

Hanuman Chalisa

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Kumbh mela 2025: A meeting of faith and unity after 140 years

Kumbh mela 2025: आस्था और श्रद्धा का महासमागम

Kumbh mela 2025

परिचय-

Kumbh mela 2025 भारतीय संस्कृति का एक अनूठा पर्व है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों पर आयोजित होता है। कुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में होगा, जो इसे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले में से एक बनाता है। यह मेला न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का भी उत्सव है।

Kumbh Mela 2025: 140 साल बाद आस्था और एकता का समागम एक ऐतिहासिक घटना होगी, जो भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ देगा। 140 साल बाद, यह महाकुंभ सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक होगा, जहां लाखों लोग आस्था और एकता के लिए एकत्रित होंगे।

प्राचीन जड़ें, आध्यात्मिक अनुभव:

Kumbh Mela की जड़ें प्राचीन काल में हैं, जब देवताओं और असुरों के बीच “अमृत कलश” (अमरता का घड़ा) के लिए एक युद्ध हुआ था। इस युद्ध के दौरान, अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरीं, और ये बूंदें चार स्थानों पर गिरीं: प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, और उज्जैन। ये स्थान Kumbh Mela के लिए पवित्र माने जाते हैं।

प्रयागराज में 2025 का महाकुंभ:

2025 में, Kumbh Mela प्रयागराज में आयोजित होगा, जो “त्रिवेणी संगम” (गंगा, यमुना, और सरस्वती नदियों का संगम) के लिए जाना जाता है। यह महाकुंभ 140 साल बाद हो रहा है, और यह आस्था और एकता का एक अनूठा समागम होगा। इस महाकुंभ में, लाखों लोग “अमृत स्नान” करेंगे, धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होंगे, और योग और ध्यान का अभ्यास करेंगे।

एकता और आत्म-खोज का त्योहार:

Kumbh Mela केवल एक धार्मिक समागम नहीं है, बल्कि यह आस्था, एकता, और आत्म-खोज का एक अवसर भी है। यह एक अद्वितीय अवसर है जहां लोग अपने आंतरिक आत्मा से जुड़ सकते हैं और अपने जीवन में नए मार्ग खोज सकते हैं। यह समाज में एकता, सद्भाव, और भाईचारा का संदेश देता है।

2025 का महाकुंभ एक अद्भुत अवसर होगा जहां लोग आस्था, एकता, और आध्यात्मिकता का अनुभव करेंगे। यह एक अवसर है जहां हम अपने आंतरिक आत्मा से जुड़ सकते हैं और अपने जीवन में नए मार्ग खोज सकते हैं।

Kumbh mela 2025: पौराणिक कथा से जुड़ा:

Kumbh Mela का मूल आधार हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में निहित है। मान्यता है कि देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश के लिए एक युद्ध हुआ था, और इस युद्ध के दौरान कुछ बूँदें पृथ्वी पर गिर गईं। ये बूँदें चार स्थानों पर गिरीं: प्रयागराज , हरिद्वार, नासिक और उज्जैन। इन चार स्थानों को कुंभ मेले के लिए पवित्र माना जाता है।

Kumbh mela 2025: धार्मिक महत्व:

अमृत स्नान: कुंभ मेला में, श्रद्धालु इन चार पवित्र स्थानों पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस स्नान से पापों का नाश होता है और आध्यात्मिक मुक्ति मिलती है।

धार्मिक अनुष्ठान: मेले में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, भजन-कीर्तन, और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।

योग और ध्यान: कुंभ मेला योग और ध्यान के लिए भी प्रसिद्ध है। लोग यहां आकर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं और अपनी आत्मा की खोज करते हैं।

कुंभ मेला सिर्फ़ एक मेला नहीं है, बल्कि आध्यात्मिकता का महाकुंभ है। यह मेला लोगों को अपने अंदर की शक्ति, धर्म और संस्कृति से जोड़ता है। यह मेला जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और आध्यात्मिक विकास करने का अवसर प्रदान करता है।

Kumbh mela 2025 की तारीखें:

Kumbh mela January 15, 2025, से शुरू होगा और February 14, 2025, तक चलेगा। इस दौरान, लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए आएंगे।

कुंभ का महत्व:

पवित्र स्नान: कुंभ मेले में स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है।
धार्मिक अनुष्ठान: मेला धार्मिक अनुष्ठानों, प्रवचनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
सामाजिक एकता: कुंभ मेला सभी धर्मों और जातियों के लोगों को एक साथ लाता है, जो एकता और भाईचारे का प्रतीक है।

Kumbh mela 2025 की विशेषताएँ:

सुरक्षा और व्यवस्था: कुंभ 2025 के लिए प्रशासन सुरक्षा और व्यवस्था के लिए विशेष तैयारियाँ कर रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को कोई समस्या न हो।
सुविधाएँ: इस बार कुंभ मेला में आधुनिक सुविधाएँ जैसे कि चिकित्सा, परिवहन, और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
आधुनिक तकनीक: कुंभ 2025 में तकनीकी मदद से भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ऐप्स और ऑनलाइन सेवाएँ उपलब्ध होंगी।

निष्कर्ष:

Kumbh mela एक अद्वितीय अवसर है जो न केवल आस्था को पुनर्जीवित करता है बल्कि भारतीय संस्कृति की महानता को भी दर्शाता है। यह मेला हमें याद दिलाता है कि हम सभी एक ही सृष्टि का हिस्सा हैं और एकता में ही शक्ति है।


KUMBH Mela 2025: एक आध्यात्मिक यात्रा का इंतजार है!

Kumbh mela 2025

Kumbh mela 2025 प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होने वाला है। यह भव्य आयोजन हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जो देश और विदेश से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।

मुख्य स्नान दिवस:

Kumbh mela 2025 के दौरान इन महत्वपूर्ण स्नान दिवसों को अपने कैलेंडर में चिह्नित करना सुनिश्चित करें:

मौनी अमावस्या (दूसरा शाही स्नान): 29 जनवरी, 2025
बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान): 3 फरवरी, 2025
माघी पूर्णिमा: 12 फरवरी, 2025
महा शिवरात्रि (अंतिम स्नान): 26 फरवरी, 2025

Kumbh mela 2025 का महत्व:

Kumbh mela  हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जहाँ लाखों भक्त पवित्र नदियों में पवित्र डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह आध्यात्मिक सभा चार स्थानों पर होती है: प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक, जो चार पवित्र नदियों – गंगा, यमुना, गोदावरी, और क्षिप्रा के किनारे स्थित हैं। त्योहार एकता, विश्वास और आध्यात्मिक ज्ञान की खोज का प्रतीक है।

कैसे पहुँचें:

प्रयागराज में Kumbh mela 2025 में भाग लेने के लिए, आपके पास विभिन्न परिवहन विकल्प हैं:

ट्रेन द्वारा: प्रयागराज रेलवे स्टेशन एक प्रमुख केंद्र है, जो विभिन्न शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
हवाई जहाज द्वारा: बमरौली हवाई अड्डा शहर की सेवा करता है, जिससे हवाई यात्रा सुविधाजनक हो जाती है।
सड़क द्वारा: अच्छी तरह से बनाए गए राजमार्ग प्रयागराज को पड़ोसी राज्यों से जोड़ते हैं, जिससे आसान पहुँच होती है।
उत्सव में शामिल हों!

जैसे-जैसे तारीख नजदीक आती है, आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक समृद्धि और समुदाय से भरे एक अविस्मरणीय अनुभव के लिए तैयार रहें। चाहे आप आशीर्वाद पाने वाले भक्त हों या इस शानदार आयोजन को देखने वाले जिज्ञासु यात्री, कुंभ मेला एक परिवर्तनकारी यात्रा होने का वादा करता है।o

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